Chamki bukhar kya hai समझने से पहले यह जान लें, कि एक बार फिर बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में chamki bukhar ने दस्तक देते हुए मासूमों को अपना शिकार बनाया है इसकी चपेट में आने वाले छोटे बच्चे सीधे तौर पर काल के गाल में जा रहे हैं। प्रशासन के पास इसका कोई उपाय नजर नहीं आ रहा है तथा वह मूकदर्शक बना हुआ है।
वह चाह कर भी इसके खिलाफ कुछ नहीं कर पा रहा है। इसके पीछे की मुख्य वजह इस बीमारी के फैलने तथा इसके इलाज के बारे में पूर्ण जानकारी का आभाव होना। प्रशासन अपनी तरफ से पूरी कोसिश कर रहा है, परन्तु अभी तक उसके पास कोई भी ना तो लक्षण पहचानने की युक्ति है, ना ही उसे ठीक करने की कोई योजना।
इस खतरनाक Chamki Bukhar की चपेट में आने से 21 जून 2019 तक बिहार में 142 के आस-पास बच्चे काल के गाल में समा चुके हैं। डॉक्टरों के अनुसार बिहार के सीतामढ़ी, मोतिहारी, बेतिया तथा वैशाली जिले सर्वाधिक इस बीमारी से ग्रसित हैं।
आखिर Chamki Bukhar Kya Hai | चमकी बुखार
Chamki Bukhar Kya hai सवाल के जवाब में हम कह सकते हैं, कि आम बोलचाल की भाषा में चमकी बुखार के नाम से जाने जानी वाली बीमारी एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानि (एईएस) के नाम से पहचानी जाती है। यह एक प्रकार का बुखार है, जो मुख्य रूप से 1 – 15 साल तक के बच्चों को अपना निशाना बनाता है। इसे दिमाग बुखार भी कहा जा सकता है।
अभी तक देश के विशेषज्ञ इसके बारे में ज्यादा जानकारी हॉसिल करने में असमर्थ रहे हैं।
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शरीर में Chamki bukhar ke कार्य करने का तरीका
Chamki Bukhar Kya hai के जवाब में हम यह भी कह सकते हैं, कि चमकी बुखार एक संक्रामक बीमारी है, जिसका वायरस शरीर से होते हुए खून में शामिल हो जाता है। इसके उपरान्त खून में यह अपनी तादात बढ़ाने लगते हैं। खून में उपस्थित होने की वजह से आसानी से मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं।
जंहॉं ये मस्तिष्क में उपस्थित कोशिकाओं में सूजन पैदा करते हैं। परिणाम स्वरूप शरीर का सेंट्रल नर्वस सिस्टम डैमेज हो जाता है। मस्तिष्क के अंदर मौजूद लाखों कोशिकाओं एवं तांत्रिकाएं जिनका कार्य शरीर के अंगों को सुचारू रूप से कार्य कराना होता है, में यह वायरस सूजन अथवा अन्य किसी प्रकार की समस्या खड़ी कर देते हैं।
मस्तिष्क के अंदर मौजूद लाखों कोशिकाओं एवं तांत्रिकाओं में उत्पन्न हुई इसी समस्या को एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है।
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चमकी बुखार में Hypoglycemia के लक्षण
विशेषज्ञों तक के लिए भी Chamki Bukhar किसी रहस्य से कम नहीं है। फिर भी उनके द्वारा इस बीमारी से ग्रसित मरीज के खून में शुगर तथा सोडियम की कमी होना पाया गया है। जिसका उचित व समय पर इलाज ना मिलने से पीढित की मौत हो जाती है।
Chamki Bukhar ka Garmi से संबंध
Chamki Bukhar Kya hai के बारे में अभी तक जारी रिसर्च में यह पाया गया है, कि यह बीमारी गर्मी के मौसम में माह-जून से अक्टूबर के दौरान अपने चरम पर होती है। जिसकी वजह से कई विशेषज्ञ इसे गर्मी के मौसम से भी जोड़कर देखते हैं।
उनके अनुसार गर्मी, उमस, गंदगी तथा कुपोषण से ग्रसित बच्चे ही इसके आसान शिकार होते हैं। इसके अलावा इसी मौसम में ही यह बीमारी अपने पैर पसारती है।
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Lichi ka Chamki bukhar से संबंध
बिहार अपने स्वादिष्ट मीठी लीची फल के लिए भी प्रसिद्ध है। विशेषज्ञों के अनुसार अनुसार लीची फल में प्राकृतिक रूप से हाइपोग्लाइसिन ए तथा methylene cyclopropyl glycine (MPCG) नामक पदार्थ पाया जाता है। यह पदार्थ पदार्थ शरीर में फैटी एसिड मेटाबॉलिज के बनने में रुकावट पैदा करता है।
जिसके परिणाम स्वरूप शरीर में लो ब्लड शुगर तथा मस्तिष्क संबंधी दिक्कतें के लक्षण उत्पन्न करता है। कुछ विशेषज्ञ इसी कारण लीची को भी Chamki Bukhar के लिए जवाब देह ठहराने की कोशिष कर रहे हैं।
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Chamki Bukhar ki पहचान एवं लक्षण
चमकी बुखार को इन लक्षणों को समझकर आसानी से अन्य बुखार से अलग किया जा सकता है:-
- इस बीमारी की शुरुआत में ही मरीज को तेज बुखार के साथ शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है।
- पीढि़त व्यक्ति की तंत्रिका तंत्र के काम बंद करने के लक्षण दिखाई पढ़ने लगते हैं।
- बीमारी की चपेट में आया व्यक्ति लो ब्लड शुगर तथा घबराहट आदि होने जैसी समस्याओं से ग्रसित दिखाई पढता है।
- पीढित व्यक्ति के जबड़े तथा दांतो के अकड़ने तथा कई बार कोमा में जाने के लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं।
- मरीज तेज बुखार से पीढि़त रहता है। परिणाम स्वरूप उसके बेहोश होने तथा दौरे पड़ने जैसी परिस्थितियॉं निर्मित हो जाती हैं।
- इन सभी के अलावा शरीर के कभी-कभार सुन्न पड़ने की स्थितियॉं भी बनती हैं।
Bukhar के तीव्रता से फैलने का कारण
विशेषज्ञ इस बीमारी को संक्रमित बीमारी के रूप में दिखते हैं। जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक आसानी से पहुंच सकती है।
किसी भी संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ जैसे- मल-मूत्र, थूक, छींक इत्यादि के संपर्क में आने से स्वस्थ्य व्यक्ति भी इसकी चपेट में आसानी से आ जाता है।
Chamki Bukhar फैलने के कारण
विशेषज्ञों के अनुसार सर्वाधिक गरीब परिवारों के कुपोषित बच्चे ही इसकी चपेट में पाए गए हैं। उनके अनुसार अत्यंत गरीब बच्चे जिन्हें पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं मिला तथा जो शारीरिक रूप से कमजोर थे, वे ही इस बीमारी के चपेट में पाये गये हैं।
इसके पीछे की मुख्य वजह कुपोषण के कारण इन बच्चों के प्रतिरोधक क्षमता में कमी होना पाया गया है।
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Chamki Fever में क्या–क्या सावधानियां बरतें
यदि किसी बच्चे में चमकी बुखार के लक्षण प्रतीत होते हैं, तो उनके साथ निम्न सावधानियॉं बरती जानी चाहिए:-
- रोग के लक्षण दिखाई पढ़ने पर पीढि़त बच्चे को डिहाइड्रेशन से बचाने हेतु तेज धूप में जाने से रोकना चाहिए। इसके लिए उसे ओआरएस अथवा नींबू, पानी तथा शक्कर का घोल बनाकर पिलाएं।
- ऐसे बच्चे को चीनी तथा नमक का घोल भी दिया जा सकता है। इसके अलावा उसे शिकंजी, तरबूज, खीरा तथा ककडि़यों आदि का सेवन भरपूर मात्रा में कराना चाहिए।
- बच्चे के शारीरिक ताप को नार्मल रखने के लिए बच्चे को दिन में कम से कम दो बार नहलाना चाहिए।
- बच्चे को सोने से पहले भरपेट खाना खिलाना चाहिए तथा उसे खाली पेट नहीं सोने देना चाहिए।
Chamki Fever से पीढि़त व्यक्ति हेतु सावधानियां
- Chamki Bukhar से पीढि़त व्यक्ति के शरीर में पानी की कमी को रोकने हेतु उसे समय-समय पर भरपूर मात्रा में पानी पिलाया जाना चाहिए।
- मरीज के शरीर के ताप को कम करने के लिए शरीर को ताजे पानी से साफ कर माथे पर गीले कपड़े की पटि्टयां रखें। इसके अलावा उसे पंखे से हल्की हवा भी उपलब्ध करावें।
- बुखार के अधिक बढ़ने पर डॉक्टर के परामर्श पर पेरासिटामोल की गोली या सिरप मरीज को दें।
- मरीज के मुंह से लार या झाग आने पर उसकी साफ कपडे से सफाई करें जिससे उसे सांस लेने में कोई परेशानी न हो।
- बेहोशी अथवा दौरा पढ़ने की अवस्था से बचाने के लिए मरीज को हवादार स्थान पर लेटाना चाहिए।
- डिहाईड्रेशन की समस्या से बचाने हेतु मरीज को समय-समय पर ओआरएस का घोल दिया जाना चाहिए।
- इसके अलावा मरीज की आंखों को तेज धूप से बचाने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
समय पर Chamki Bukhar Kya hai या इसके संबंध में जानकारी न होने, समय पर इलाज न मिलने के कारण इससे पीडि़त व्यक्ति या बच्चों की मृत्यु निश्चित है। इसका जीता जागता उदाहरण बिहार राज्य में मृत हुए बच्चे हैं। इस बीमारी के बारे में जानकारी तथा इससे संबंधित बचाव के उपाय ही इसका एक मात्र इलाज है।
Chamki Fever इतिहास एवं आंकलन
इस बीमारी द्वारा सर्वप्रथम वर्ष 1995 में मुजफ्फरपुर में दस्तक दी थी। इस समय शुरू हुआ मौतों का शिलशिला अब तक जारी है। इसके द्वारा वर्ष 2012 तक मौत का खेल खेला गया। वर्ष 2012 में इससे पीडि़त करीब 120 बच्चों की मृत्यु इसी बीमारी से हुई थी।
परन्तु वर्ष 2015 तक इस बीमारी से मरने वालों की संख्या में कमी देखी गई, जिससे यह समझ लिया गया था, कि बिना इस बीमारी के कारण व लक्षण को बहचाने ही इस पर काबू पा लिया गया है। इसके बाद वाले वर्षों में इससे पीढि़त मरीज की मृत्यु की संख्या 10 से 20 के आस-पास ही रही।
इतने वर्षों के पश्चात वर्ष 2019 में इस बीमारी ने पून: विकराल रूप धारण किया है। इसके परिणाम स्वरूप करीब 142 के आस-पास इससे पीढि़त बच्चे काल के गाल में शमा चुके हैं।
वर्तमान में यह यह बिहार के मुजफ्फरपुर तथा उसके आसपास के जिले जैसे- वैशाली, सीतामढ़ी, शिवहर, पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर आदि में ही मृत्यु का खेल खेल रही है। परन्तु जल्द ही इसका कोई तोड़ नहीं खोजा गया तो यह महामारी का रूप धारण करने की क्षमता रखती है।
यदि हम पिछले वर्षों के आंकडों पर नज़र डालें तो हमें इससे पीढि़त बच्चों के मृत्यु के डरावने आंकडे नज़र आऐंगे। Chamki Bukhar की शुरूआत बिहार से होने की वजह से इससे सर्वाधिक नुकशान बिहार की आबादी को ही उठाना पड़ा है।
वर्ष 2012 में इससे 123 बच्चे, वर्ष 2013 में 43 बच्चे, वर्ष 2014 में 98 बच्चे, वर्ष 2015 में 16 बच्चे, वर्ष 2016 में 4 बच्चे, वर्ष 2017 में 11 बच्चे, 2018 में 7 बच्चे तथा अभी वतर्मान वर्ष 2019 में अब तक 120 बच्चे इसका शिकार बन चुके हैं।
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