Gwalior Jila Ka Itihas & Sanskrit | ग्वालियर का इतिहास

Jila Panchayat Gwalior Jila Ki Poori Jankari के तहत Gwalior Jila Madhya Pradesh शासन के प्राचीनतम नगरों में से एक भौगोलिक दृष्टि से 4565 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।

Gwalior City Madhya Pradesh के उत्तरी भाग में स्थित है। इसकी Delhi से दूरी लगभग 300 किलोमीटर है। Gwalior Jila ki Jankari के तहत यह जिला Bhind, Morena, Seopur, Shivpuri तथा Datia जिलों से चारों ओर से घिरा हुआ है।

Gwalior Jila
Gwalior Jila

Gwalior Jila | ग्वालियर रियासत

आपको यह जानने में काफी दिलचस्पी होगी, कि Gwalior city का नाम Gwalior कैसे पड़ा? शहर के नामकरण का भी अपना ही इतिहास है, आइए जानते हैं-

  • ऐसा माना जाता है, कि छठी शताब्दी के दौरान राजा सूरज सेन पाल कछवाहा किसी अज्ञात बीमारी से मृत्यु शैया पर पहुंच गए थे। संत ग्वालिपा द्वारा उनका उपचार किया गया था। इन्हीं संत के सम्मान में ग्वालियर शहर की नींव पड़ी तथा उनके नाम के आधार पर ही इस शहर का नाम ग्वालियर पड़ा। राजा सूरज सेन पाल के 83 वंशजों द्वारा Gwalior City पर राज किया गया। 
  • महाभारत काल के दौरान Gwalior व उसके आसपास के क्षेत्र को गोपराष्ट्र के नाम से जाना जाता था।
  • इनके अलावा भी ग्वालियर को प्राचीन समय में अन्य अनेक नामों जैसे गोपपर्वत, गोपगिरींद्र गोपागिर, गोपगिरी, गोपाचल दुर्ग, आदि नामों से पहचाना जाता था। इन सभी नामों का अर्थ केवल ग्वाल पर्वत से था। यह वही पर्वत है, जिस पर Gwalior Fort का निर्माण किया गया है।

वर्तमान Gwalior City के नाम की उत्पत्ति गोपाल गिरी, ग्वालहरी, आदि नामों से ही हुई है।

Gwalior Jila Ka Itihas

ग्वालियर शहर अपने आप में एक इतिहास है। आइए कुछ बिंदुओं के माध्यम से इस शहर के इतिहास को समझने की कोसिस करते हैं-

  • सन 1231 ईस्वी के दौरान इतुलितमिश मुस्लिम शासक द्वारा ग्वालियर पर कब्ज़ा कर 13वी शताब्दी तक राज किया गया।
  • 1375 ईस्वी के दौरान राजा वीर सिंह द्वारा Gwalior में तोमर वंश की स्थापना की गई। इन्हीं के शासनकाल में Gwalior Fort में जैन मूर्तियां का निर्माण किया गया।
  • Gwalior Fort के अंदर स्थित मेन मंदिर पैलेस राजा मानसिंह तोमर द्वारा निर्मित कराया गया था।
  • इस fort की तारीफ में बाबर ने इसे भारत के “किलों के हार में मोती” की संज्ञा दी थी।
  • वर्ष 1730 के दशक के दौरान Gwalior city पर सिंधियों द्वारा कब्ज़ा कर शासन किया गया। इसके अलावा ब्रिटिश शासन के दौरान यह शहर एक प्रमुख रियासत के रूप में पहचानी जाती थी।
  • ग्वालियर शहर पर सर्वाधिक शासन मुग़लों द्वारा किया गया था, उनके बाद ही मराठों का नंबर आता है।
  • 6ठी सदी के हूण शासक मिहिरकुल‌‌ द्वारा अपने पिता तोरमाण की प्रशंसा में निर्मित शिलालेख ग्वालियर का सबसे प्राचीनतम शिलालेख है।
  • Gwalior पर आज़ादी के पूर्व से ही सिंधिया राजवंश का शासन था, जो कि मराठा समूह के अंतर्गत आते हैं। 

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Gwalior Jila Cricket Stadium
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Gwalior Ka Itihas Aur 1857 के विद्रोह में ग्वालियर की भूमिका

1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पूरे देश में आज़ादी की लहर उठी थी, ग्वालियर शहर भी इससे अछूता नहीं रहा था। आइए निम्न बिंदुओं से Gwalior city की भूमिका को समझते हैं-

  • 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान Gwalior शहर पर सिंधिया राज घराने का शासन था।
  • अंग्रेजों द्वारा झांसी पर कब्ज़ा करने के बाद रानी लक्ष्मीबाई द्वारा ग्वालियर में आकर सिंधिया शासकों से शरण मांगी गई। परंतु सिंधिया राजवंश द्वारा अंग्रेजों के मददगार होने की वजह से उन्हें शरण नहीं दी गई।
  • परिणाम स्वरूप सिंधिया राजवंश के सैनिकों द्वारा विद्रोह करते हुए Gwalior fort को अपने कब्जे में ले लिया। रानी लक्ष्मीबाई का पीछा करते हुए अंग्रेज सैनिक भी ग्वालियर पहुंच गए। अंग्रेजों तथा रानी लक्ष्मीबाई के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की सेना के साथ जमकर युद्ध हुआ। 
  • जिसमें रानी लक्ष्मीबाई के नेतृत्व वाले सैनिकों की हार हुई और पुनः Gwalior fort पर सिंधिया तथा अंग्रेजों का अधिपत्य हो गया। सन 1858 के दौरान अंग्रेजों से लड़ते हुए Gwalior में रानी लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हुई।
  • ग्वालियर में एक समतल शिकार युक्त पहाड़ हुआ करती थी, जिसे गोपाचल, गोपगिरी, गोपपर्वत अथवा गोपार्दि कहा जाता था। इसी पर्वत पर स्थित प्रसिद्ध किले का नाम किला अवस्थित पहाड़ी के नाम से लिया गया, जो अपभ्रंश होकर ग्वालियर शब्द बना।
  • Gwalior Jila पूर्व में गुर्जर, प्रतिहार, तोमर तथा कछवाहा राजवंश की राजधानी हुआ करता था। वर्ष 1948 से 1956 के दौरान यह मध्य भारत की राजधानी हुआ करता था। बाद में मध्य भारत को Madhya Pradesh का हिस्सा बनाने के बाद इसे एक जिले के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। 
  • Gwalior Jila मुख्यालय एक ऐतिहासिक नगर है। ग्वालियर नगर मुख्य रूप से गुर्जर, प्रतिहार राजवंश, बघेल, तोमर तथा कछवाहों आदि की राजधानी हुआ करता था।
  • इसकी जानकारी अनेक प्राचीन स्मारकों, किलों, महलों, आदि में छोड़े गए साक्ष्यों से प्राप्त होता है। इन्हीं साक्षयों की वजह से यह शहर पर्यटन की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
  • वर्तमान में Gwalior City Madhya Pradesh State का एक प्रमुख आधुनिक शहर के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा इसकी पहचान औद्योगिक केंद्र के रूप में भी है।
  • गालव ऋषि की तपोभूमि के रूप में भी Gwalior City को पहचाना जाता है। केंद्र सरकार की Smart Cities Mission के तहत ग्वालियर शहर को भी स्मार्ट सिटी के रूप में डिवेलप करने हेतु 100 Indian Cities की सूची में चयन किया गया है।

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Gwalior Jila Ka Gathan | ग्वालियर जिला का गठन

Gwalior एक प्राचीन एतिहशिक नगर है। इस शहर पर आज़ादी से पूर्व कितने ही लोगों द्वारा शासन किया जा चुका है। आज़ादी के बाद से ही इसे मध्य प्रदेश राज्य का हिस्सा बना दिया गया था। आइए जानते हैं, Gwalior Jila का गठन कैसे हुआ- 

  • वर्ष 1948 से 1956 के दौरान यह मध्य भारत की राजधानी हुआ करता था। 
  • बाद में मध्य भारत को Madhya Pradesh का हिस्सा बनाने के बाद इसे एक जिले के रूप में ग्वालियर को परिवर्तित कर दिया गया। 
  • Gwalior District का निर्माण Gwalior, Bhitarwar & Dabra (कुल 03) Tehsil को मिलाकर किया गया था। बाद में इनकी संख्या बढ़ाकर 8 कर दी गयी है।
  • वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर ग्वालियर की कुल जनसंख्या 1241519 दर्ज की गई। 
  • जिले के अंतर्गत मुख्य रूप से Hindi, English & Marathi languages का प्रयोग किया जाता है।
  • इसी आधार पर जिले की विकास दर 0.2697 दर्ज की गई। 

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