भारत के साथ व्यापार घाटे का हवाला देते हुए Generalized System of Preferences-जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज (GSP) के अन्तर्गत भारत तथा तुर्की को मिलने वाली तरजीही दर्जे को संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प समाप्त करने जा रहे हैं।
इसके तहत अमेरिका द्वारा भारत तथा तुर्की से होने वाले निर्यात के तहत विभिन्न प्रोडेक्ट्स पर ड्यूटी में छूट दी जाती थी।
Meaning of Generalized System of Preferences(GSP)
GSP को जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज के नाम से जाना जाता है। 1 जनवरी, 1976 को अमेरिका द्वारा GSP नामक अमेरिकी व्यापार कार्यक्रम की शुरुआत की थी। अमेरिका के अलावा ब्रिटेन के साथ-साथ यूरोपियन यूनियन द्वारा भी कुछ सामग्री के इम्पोर्ट पर GSP दर्जा विभिन्न देशों को प्रदाय किया गया है, जिसके माध्यम से वे कुछ वस्तुओं का आयात करते हैं।
इसका मुख्य उद्देश्य विकासशील देशों की आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने में मदद करना था। इस स्कीम के तहत GSP का दर्जा प्राप्त देशों से आयातित किये जाने वाली चुनिंदा सामग्री पर ड्यूटी में छूट अथवा मामूली टैरिफ लगाया जाता था।
इस स्कीम के माध्यम से अमेरिका में लगभग 129 देशों को करीब 4,800 सामग्रियों को इसका फायदा मिला हुआ था। विकासशील देशों के उत्पाद के तौर पर पहचाने जानी वाली सामग्री, जैसे- ऐनिमल हस्बैंड्री, मीट, मछली और हस्तशिल्प आदि को इसके अंतरर्गत फायदा प्राप्त हो रहा था।
GSP- Generalized System of Preferences का मुख्य उद्देश्य
GSP का मुख्य उद्देश्य विकसित देशों द्वारा विकसशील देशों के निर्यात को बढ़ावा देकर उनकी अर्थव्यवस्था को दुरूस्त करते हुए उनके यहॉं पनप रही गरीबी को कम करने में मदद करना था।
Generalized System of Preferences (GSP) विकाससील देशों के उत्पादों को अमेरिका में ड्यूटी फ्री एंट्री प्रदान करने हेतु अमेरिका का एक व्यापार कार्यक्रम है। इसके तहत शामिल देशों को विशेष प्राथमिक्ता प्रदान कर आयात शुल्क से छूट प्रदान की जाती है।
इस कार्यक्रम के तहत शामिल देशों से एक तय धनराशि के उत्पादों पर अमेरिका द्वारा आयात शुल्क नहीं लिया जाता है।
यह भी पड़ें:– Motor Vehicle Act 2019 | मोटर व्हीकल एक्ट 2019 क्या है?
अमेरिका तथा भारत के व्यापारिक रिस्ते
अमेरिकी आंकड़ों को आधार माना जाए तो हम पाते हैं, कि भारत तथा अमेरिका एक दूसरे के साथ करीब 126.2 अरब डॉलर का व्यापार करते हैं। इस व्यापार के तहत अमेरिका द्वारा भारत को $49.4 अरब डॉलर का निर्यात तथा अमेरिका में भारत द्वारा $76.7 अरब डॉलर का आयात किया जाता था।
इन आंकड़ों के अनुसार भारत, अमेरिका के मुकाबले व्यापार में 27 अरब डॉलर का अधिक आयात करता है। भारत द्वारा अमेरिका में कपडे, फल, सब्जियां, हस्तशिल्प चीज़ें, केमिकल, मत्स्य पालन से जुड़े उत्पाद के अलावा कृषि आधारित उत्पादों का निर्यात मुख्य रूप से किया जाता है।
इसके विपरीत अमेरिका द्वारा भारत को मशीनरी, कृषि उत्पाद, आईटी उत्पाद, मेडिकल उत्पाद, ऑटोमोबाइल गाड़ियाँ आदि सामग्रियों का निर्यात किया जाता है।
यह भी पड़ें:– Chief of Defense Staff Kya hai | चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ क्या है?
अमेरिका का जीएसपी दर्जा समाप्त करने का कारण
अमेरिका थिंक टैंक के अनुसार दोनों देशों के मध्य होने वाले व्यापार में अमेरिका का व्यापार घाटा अधिक पाया गया। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प के सत्ता में आने के बाद इस ओर ध्यान दिया गया। इसके लिए पिछले साल अप्रैल 2018 में अमेरिका द्वारा जीएसपी के लिए तय शर्तों की समीक्षा का कार्य शुरू किया गया।
इस समीक्षा के पश्चात अमेरिका द्वारा 1 जून 2018 को भारत से आयातित स्टील पर 25% तथा एल्युमीनियम पर 10% टैरिफ लगाया गया। राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा भारत पर आरोप लगाया गया, कि उसके द्वारा अमेरिकी उत्पादों को ‘समान और उचित’ एक्सेस नहीं दिया गया।
इसके अलावा उन्होंने अपने अलग-अलग बयानों में कई अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर भारत में लगने वाली ड्यूटीज की आलोचना भी की गई। इसी कड़ी में राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा अमेरिका द्वारा निर्यात की जाने वाली बाईक हार्ले डेविडसन का मुद्दा उठाया, जिस पर भारत सरकार 100% टैरिफ वसूलती है, परन्तु अमेरिका इस प्रकार की सामग्री पर कोई टैक्स नहीं लगाता है।
राष्ट्रपति ट्रम्प के अनुसार, अमेरिका द्वारा भारत को जीएसपी का दर्जा दिया गया है, जिसके परिणाम स्वरूप भारत द्वारा आयातित सामग्री पर छूट प्राप्त है। परन्तु राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा इस प्रकार का असंतुलन पाए जाने पर कहा गया, कि वे भी भारतीय आयात पर बराबर का टैरिफ लगाएंगे।
जानकारी के अनुसार, अमेरिका का वर्ष 2017 में भारत के साथ व्यापार घाटा 27 अरब डॉलर के करीब था तथा जो लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इसे देखते हुए ट्रम्प प्रशासन इस नीति को अपनाकर अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करना चाहता है।
यह भी पड़ें:– UAPA Amendment Bill 2019 UPSC | UAPA अमेन्डमेंट बिल 2019 यूपीएससी
अमरीकी कंपनियों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए अमेरिका द्वारा काफी लम्बे समय से भारत में मेडिकल डिवाइसों पर लगने वाले प्राइसिंग कैप को समाप्त करने की मांग की जा रही है।
इसके अलावा अमेरिकी आईटी उत्पादों तथा कृषि क्षेत्र से जुड़े उत्पादों की अधिक पहुँच भारतीय बाजारों में सुनिश्चित करना भी अमेरिका की मांग है।
इसी भिन्नता तथा व्यापार घाटे को ध्यान में रखते हुए अमेरिका द्वारा हाल ही में Generalized System of Preferences (जीएसपी) का लाभ लेने वाले देशों की सूची से भारत को बाहर कर दिया गया है।
यह भी पड़ें:– Ayushman Bharat Yojana in Hindi | आयुष्मान भारत योजना इन हिन्दी
जीएसपी समाप्ति एवं भारत पर होने वाला प्रभाव
कांग्रेस रिसर्च सर्विस रिपोर्ट के अनुसार, जीएसपी स्कीम का सर्वाधिक फायदा भारत द्वारा उठाया गया है। वर्ष 2017 के दौरान लगभग 5.7 अरब डॉलर का भारतीय निर्यात तथा तुर्की द्वारा 1.7 अरब डॉलर का निर्यात जीएसपी स्कीम के तहत किया गया।
अमेरिका की Generalized System of Preferences योजना लागू होने के बाद इस योजना से लाभ पाने वाला विश्व का सबसे बड़ा देश भारत बनकर उभरा है। इस नीति के परिणाम स्वरूप भारत द्वारा लगभग 1930 उत्पादों पर अमेरिका में आयात शुल्क से छूट प्राप्त की गई।
ट्रम्प प्रशासन द्वारा भारत को Generalized System of Preferences से अलग किया जाना निश्चित रूप से एक बड़ी छति है। जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज (जीएसपी) दर्जा समाप्त होने के बाद भारत द्वारा निर्यात किये जाने वाली सामग्री जैसे- हस्तशिल्प चीज़ें, केमिकल, मत्स्य पालन से जुड़े उत्पाद और कृषि आधारित सामग्रियां आदि को अमेरिका में अधिक आयात शुल्क देना होगा।
इसके परिणाम स्वरूप अमेरिका में भारतीय उत्पादों की कीमत में वृद्धि होगी तथा उसको अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा का सामना करना पडेगा। इस दर्जे के समाप्त होने के परिणाम स्वरूप हज़ारों नौकरियों पर भी संकट आने की संभावना है।
इस संबंध में यदि हम वाणिज्य सचिव अनूप वाधवन के अनुसार देखें तो पाऐंगे कि, भारत जीएसपी के तहत 5.6 अरब डॉलर (करीब 39,645 करोड़ रुपये) मूल्य का सामान अमेरिका को निर्यात करता है। उनके अनुसार केवल 1.90 करोड़ डॉलर (करीब 1,345 करोड़ रुपये) मूल्य की वस्तुओं को ही अमेरिका में टैक्स फ्री आयात की सुविधा प्रदान की जाती थी।
भारत सरकार द्वारा मुख्य रूप से कच्चे माल और ऑर्गैनिक केमिकल्स जैसे सामानों का ही अमेरिका को निर्यात किया जाता है। जीएसपी दर्जे से बाहर करने के परिणाम स्वरूप इन सामग्रियों की क़ीमत में लगभग 5% तक बढ़ौत्तरी की संभावना है।
इससे कई मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स को प्रतिस्पर्धा में नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा अमेरिका के इस कदम से भारतीय उपभोक्ताओं को भी नुक़सान होने की संभावना है। अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रम्प द्वारा अमेरिकी व्यापार पर अधिक ध्यान देना शुरू किया गया था।
जिसके बाद उन्होनें दूसरे देशों के साथ होने वाले व्यापार तथा उससे होने वाले व्यापार घाटे को कम करने के लिए काफी आक्रामक रवैया अपनाया हुआ है। उनके द्वारा इस संबंध में चीन से तो ट्रेड वॉर ही शुरू कर दी गई है।
यह भी पड़ें
- Article 370 in Hindi | अर्टिकल 370 इन हिन्दीं
- Samagra ID Pahchan Kya Hai | समग्र आईडी पहचान क्या है?
- Madhya Pradesh Rajya ka Gathan | मध्य प्रदेश राज्य का गठन
Source:- navbharattimes.indiatimes.com