Lok Sabha Adhyaksh Ke Karya Evam Shaktiya in Hindi

आइये जानते है Lok Sabha Adhyaksh Ke Karya Evam Shaktiya हिंदी भाषा मैं. अनुच्छेद 98 के तहत आम चुनाव के माध्यम से लोकसभा हेतु चुने गए सदस्यों में से लोकसभा के पहले अधिवेशन में ही Lok Sabha Speaker & Deputy Speaker को चुनते हैं। सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने के लिए देश के संविधान में संविधान निर्माताओं द्वारा अध्‍यक्ष एवं उपाध्‍यक्ष पद का स्‍पष्‍ट उल्‍लेख किया गया है।

सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने के लिए देश के संविधान में संविधान निर्माताओं द्वारा अध्‍यक्ष एवं उपाध्‍यक्ष पद का स्‍पष्‍ट उल्‍लेख किया गया है।

Lok Sabha Adhyaksh Ke Karya

संविधान में Lok Sabha Speaker के पद को सदन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण परंपरागत तथा औपचारिक पद माना गया है। लोकसभा सदन में संविधान के अनुसार अध्‍यक्ष का पद ही सर्वोच्च प्राधिकार प्राप्त  है। Lok Sabha Adhyaksh Ke Karya पद अति महत्वपूर्ण एवं सम्मान युक्त होता है।

लोकसभा अध्यक्ष द्वारा  संसद सदस्यों के व्यक्तिगत तथा  दल या गुटों के आधार पर उनको प्राप्त अधिकारों तथा विशेषाधिकारों की रक्षा की जाती है। अध्यक्ष सदन की  शक्ति, कार्यों तथा सम्मान का प्रतीक के रूप में पहचाना जाता है।

Lok Sabha Adhyaksh Ke Karya Evam Shaktiya

Lok Sabha Adhyaksh Ke Karya के अधिकांश शक्तियों एवं कार्यों का उल्लेख संविधान में निहित हैं, परंतु कुछ मामलों में उसे अपने विवेक के आधार पर कार्य करना पड़ता है। देश में प्रथम लोकसभा के गठन के पश्‍चात लोकसभा अध्यक्ष के रूप में गणेश वासुदेव मावलंकर को चुना गया था, जो कि देश के पहले लोकसभा अध्‍यक्ष बने।

वर्ष 2014 में 16वीं लोकसभा का गठन किया गया था, जिसका अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन को चुना गया था। (नोट:- वे इस पद को संभालने वाली दूसरी महिला स्पीकर हैं।) इंदौर लोकसभा क्षेत्र से श्रीमती महाजन को लोकसभा सदस्य के रूप में चुना गया था। 16वीं लोकसभा के उपाध्यक्ष के रूप में श्री एम थामविदुरई का चयन किया गया था।

संविधान में Lok Sabha Adhyaksh Ke Karya evam Lok Sabha Adhyaksh Ke Karya महत्‍वपूर्ण माना गया है तथा पद की गरिमा को बनाए रखने तथा सदन का कार्य सुचारू रूप से जारी रखने के लिए उसे निम्‍नलिखित शक्तियों के साथ-साथ कार्य संपादन की जिम्‍मेदारी सौंपी गई है:-

Lok Sabha Adhyaksh Ke Karya एवं शक्तियां

  • Lok Sabha Speaker का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य सदन की अध्यक्षता करते हुए सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से आगे बढ़ाना है।
  • सदन की बैठक को स्थगित करने की शक्ति लोकसभा अध्‍यक्ष के पास नीहित है। इसके अलावा गणपूर्ति ना होने की दशा में सदन की बैठक को उसके द्वारा निलंबित किया जा सकता है।
  • Lok Sabha Speaker को किसी भी विधेयक को धन विधेयक है अथवा नहीं का निर्णय लेने का अधिकार प्रदान किया गया है तथा इस संबंध में उसका निर्णय अंतिम माना गया है।
  • संसद में पारित किसी विधेयक के संबंध में दोनों सदनों के मध्य उत्पन्न हुए विवाद पर दोनों सदनों की संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता का अधिकार लोकसभा अध्यक्ष को प्रदान किया गया है।
  • लोकसभा अध्यक्ष द्वारा किसी सदस्य को यदि हिंदी अथवा अंग्रेजी माध्यम में अपने विचारों को रखने में परेशानी का सामना करने की स्थिति में अध्‍यक्ष द्वारा स्वयं के विवेक के आधार पर सम्मानित सदस्य को अपनी मातृभाषा में अपने विचार प्रकट करने की अनुमति प्रदान की जा सकती है।
  • Lok Sabha Speaker को सदन के किस सदस्य को तथा कितना बोलने का अवसर प्रदान किया जाए या संबंधित सदस्‍य के भाषणों की समय सीमा का निर्धारण करने का अधिकार प्रदान किया गया है।
  • अध्यक्ष को यह अधिकार दिया गया है, कि वह विधायकों एवं संकल्पों के संबंध में सदन में लाए गए संशोधनों में से किसी को भी सभा के समक्ष प्रस्तुत करने हेतु चुनाव करा सकता है।
  • इसके अलावा यदि  अध्यक्ष के विचार में प्रस्तुत किया गया कोई संशोधन तुच्छ अथवा नगण्य समझा जाता है, तो उसके द्वारा संबंधित संशोधन को सभा में प्रस्तुत होने से रोका जा सकता है।
  • सदन में किसी विषय पर मतदान होने के दौरान पक्ष तथा विपक्ष में बराबर मत पढ़ने की स्थिति में अध्यक्ष को अपना निर्णायक मत (कास्टिंग वोट) देने का अधिकार संविधान द्वारा प्रदाय किया गया है।
  • संविधान द्वारा Lok Sabha Speaker को सदन की समस्त समितियों का सर्वोच्च नियंत्रण करता घोषित किया है।
  • उसके द्वारा ही अध्यक्षों अथवा सभापतियों की नियुक्ति की जाती है तथा उनके संबंध में आवश्यकता पड़ने पर वह दिशानिर्देश भी जारी कर सकता है।
  • कोई भी संसदीय समिति बिना लाकसभा अध्यक्ष की पूर्व अनुमति के संसद भवन के बाहर अपनी बैठक नहीं कर सकता है।
  • इसके अलावा किसी भी समिति द्वारा बिना लोकसभा अध्यक्ष की अनुमति के राज्य सरकार के अधिकारियों को गवाही के लिए बुलाया जा सकता है।
  • लोकसभा सदन का सर्वे सर्वा अध्यक्ष ही होता है। सदन में व्यवस्था बनाए रखने का दायित्‍व अध्‍यक्ष का ही होता है।
  • अध्‍यक्ष को सदन के सभी सदस्यों को नियमों का पालन करवाये जाने संबंधी अधिकार प्रदान किये गए हैं।
  • सदन की कार्यवाही में किसी सदन के सदस्य द्वारा विघ्न उत्पन्न किया जाता है, तो उसका नाम लेकर सदन से उसका निलंबन करने का अधिकार अध्‍यक्ष को प्रदान किया गया है।
  • Lok Sabha Speaker को लोकसभा अथवा उससे संबंधित मामलों से संबंधित संविधान तथा नियमों की व्याख्या करने का अधिकार प्रदान किया गया है।
  • इस संबंध में किसी भी सरकार के द्वारा अध्यक्ष से किसी भी प्रकार का वाद विवाद नहीं किया जा सकता है।
  • लोकसभा अध्यक्ष के अपने पद पर बने रहने के दौरान किसी के भी द्वारा अभिव्यक्त विचारों के संबंध में सार्वजनिक रूप से अथवा समाचार पत्रों में वाद-विवाद का केंद्र बनाया जाना संविधान में पूर्णता निषेध किया गया है।
  • राष्ट्रपति तथा संसद के मध्य सामंजस्य बनाए रखने के उद्देश्य से लोकसभा अध्यक्ष समय-समय पर सदन में की जाने वाली कार्यवाही से देश के राष्ट्रपति को अवगत कराता है।
  • Lok Sabha Speaker को यह शक्ति प्रदान की गई है, कि उसके द्वारा ही सदन के सदस्यों की योग्यता अथवा अयोग्यता का निर्धारण तथा दलबदल संबंधी मामलों का निर्धारण किया जाएगा।

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Lok Sabha Speaker या उपाध्‍यक्ष पद हेतु चुने गए व्यक्ति के लोकसभा का सदस्य नहीं रहने या सदस्यता भंग होने अथवा रद्द होने की स्थिति में संबंधित व्‍यक्ति के लोकसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष पद को समाप्त करने का प्रावधान संविधान में नीहित किया गया है।

Lok Sabha Adhyaksh को पद से हटाने संबंधी निर्देश

  • लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा अपने हस्ताक्षर सहित पद त्याग पत्र उपाध्यक्ष को संबोधित करते हुए सौंपने पर अथवा लोकसभा का उपाध्यक्ष, अध्यक्ष को संबोधित करते हुए अपने हस्ताक्षर सहित त्यागपत्र अध्यक्ष को सोंपने की दशा में उन्‍हें, उनके पद से पदमुक्त किया जा सकता है।
  • यदि लोकसभा के सदस्यों द्वारा बहुमत के आधार पर अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को  उनके पद से हटाने का प्रस्‍ताव पारित किया जाता है, तो ऐसी स्थिति में उनकी सदस्यता समाप्त की जा सकती है। (नोट:- यह कार्यवाही करने से 14 दिन पूर्व अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष को सूचना देना अनिवार्य किया गया है।)
  • संविधान में यह भी स्पष्ट उल्लेख किया गया है, कि लोकसभा के भंग होने के पश्‍चात लोकसभा के प्रथम अधिवेशन के ठीक पहले तक लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा अपना पद रिक्त नहीं किया जा सकेगा।
  • Lok Sabha Speaker को पद से हटाने की कार्यवाही के दौरान लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा की अध्यक्षता नहीं कर सकेगा, परंतु उसे सदन में बोलने तथा सदन की कार्यवाही में शमिलित होने का अधिकार संविधान द्वारा उसे प्रदान किया गया है।
  • इस दौरान अध्‍यक्ष को लोकसभा सदन में मतदान करने का भी अधिकार प्रदान किया गया है
  • परंतु यदि लोकसभा सदस्यों के मतदान के पश्चात पक्ष और विपक्ष में बराबर मत पढ़ते हैं, तो ऐसी दशा में उसे मतदान करने का अधिकार नहीं दिया गया है।
  • लोकसभा के उपाध्यक्ष का चुनाव भी लोकसभा के सदस्यों द्वारा ही किया जाता है। लोकसभा के अध्यक्ष भांति ही लोकसभा का उपाध्यक्ष भी तभी तक अपने पद पर बना रह सकता है, जब तक उसे सदन की सदस्यता प्राप्त है या फिर उसके द्वारा स्वयं इस्तीफा नहीं दिया गया है
  • अथवा उसे सदन के सदस्यों द्वारा बहुमत के आधार पर पारित प्रस्ताव के माध्यम से उसे इस पद से हटाया नहीं गया है।
  • लोकसभा अध्यक्ष की अनुपस्थिति में सदन की कार्यवाही की अध्यक्षता लोकसभा उपाध्यक्ष द्वारा की जाती है।
  • इस दौरान उसके द्वारा नियमानुसार लोकसभा अध्यक्ष के सभी अधिकारों का प्रयोग करने का प्रावधान संविधान में किया गया है।
  • लोकसभा उपाध्यक्ष को अध्यक्ष की अपेक्षा सदन में एक सदस्य की हेसियत से बोलने, सदन की कार्यवाही में भाग लेने तथा किसी भी मुद्दे पर मतदान करने का अधिकार प्रदान किया गया है। परन्‍तु, इस दौरान उसके द्वारा सदन की अध्यक्षता नहीं की जानी चाहिए।

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