Sheopur Madhya Pradesh | श्योपुर जिला की रोचक जानकारी!!!

Sheopur Madhya Pradesh जिले की जानकारी के संबंध में हम पाते हैं, कि श्योपुर जिला मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित है। श्योपुर जिले का मुख्यालय सीप नदी के किनारे पर स्थित है। श्योपुर शहर की स्थापना जयपुर शाही राजघराना के प्रमुख गौर राजपूतों के प्रमुख इंद्र सिंह द्वारा की गई थी। गौर राजपूत पूर्ण रूप से शिव भक्त होने की वजह से उनके द्वारा शहर में काफी शिव मंदिरों का निर्माण कराया गया था।

Sheopur MP जिले का नामकरण अपनी बस्ती का स्थायित्व सुनिश्चित करने के लिए एक सहरिया  द्वारा दिए गए बलिदान के नाम पर हुआ। शिव की नगरी से पहचाने जाने वाला श्योपुर जिले का पुराना नाम शिवपुर है। शिवपुर जिले में सिप नदी पर स्थित बंजारा बांध लगभग 200 वर्ष पुराना बताया जाता है।

जिला का कराहल नामक स्थान आज भी डकैतों की समस्या से ग्रसित है। जिले के अंतर्गत आम बोलचाल में हिंदी के अलावा ब्रज भाषा का भी प्रयोग किया जाता है। श्योपुर जिला काष्ठकला के लिए प्रदेश में पहचाना जाता है।

Sheopur Madhya Pradesh जिले का इतिहास

Sheopur MP जिला की जानकारी के तहत इतिहास में श्योपुर जिले का उल्लेख निमतुल्लाह के रिकार्ड से प्राप्त होता है। उसके रिकार्ड में कहा गया है, कि राज डोंगर जिसने बाद में मुसलमान धर्म अपना लिया था, को सिकंदर लोदी की सेना के नेतृत्व के साथ श्योपुर तथा अवंतगढ़ भेजा गया था। इस दौरान श्योपुर का किला रणथंबोर के राय सुरजन के कब्जे में था। जिसे बाद में अकबर के चित्तौड़गढ़ की ओर बढ़ते समय आत्मसमर्पण करते हुए प्रदान किया गया।

गयाटिफेंटहलार द्वारा 1750 ए.डी. में श्योपुर को बेहतरीन महलों का शहर बताया गया था। वर्ष 1808 में श्योपुर क्षेत्र पर दौलतराव सिंधिया का शासन था, जिसे उनके द्वारा जेनरल जीन बपतिस्ते फेलोस को जागीर के रूप में प्रदान किया गया। दौलतराव सिंधिया के शासनकाल में श्योपुर क्षेत्र एक टकसाल शहर हुआ करता था क्षेत्र की पहचान सिक्का मारा एक तोप की छाप बोर के नाम से शीर्ष शाही के रूप में हुआ करती थी।

इस समय के पश्चात ही Sheopur MP किला जीन बपतिस्ते का निवास स्थान के रूप में पहचाने  जाने लगा। वर्षा 1814 के दौरान जय सिंह किची के क्षेत्र को बैपटिस्ट फिलोस द्वारा तबाह करने के दौरान श्योपुर किले पर कब्जा किया गया था। श्योपुर जिला(Sheopur MP) की जानकारी में हम पाते हैं, कि श्योपुर जिले में राजस्थान की सीमा के निकट जिले में 2 स्थान पौराणिकता से जुड़े हुए हैं। इनमें से एक स्थान को इटनवाडी के नाम से जाना जाता है।

इसकी स्थापना ध्रुव के पिता राजा उदयानपद द्वारा की गई थी। यह स्थान ध्रुव की तपस्या करने की वजह से ध्रुव कुंडा के नाम से भी जाना जाता है। दूसरा स्थान रामेश्वर ग्राम है। इस स्थान पर परशुराम जी ने तपस्या की थी। बैपटिस्ट फिलोस द्वारा श्योपुर जिले में निर्मित हुसनदन बोरा बगीचा काफी प्रसिद्ध है। इस बगीचे में उसके द्वारा एक मस्जिद तथा गणेश जी के मंदिर का निर्माण कराया गया था।

Sheopur MP जिले की जनगणना 2011 में स्थिति

श्योपुर जिला की जानकारी में अगला अध्‍याय जनगणना की स्थित है। श्योपुर जिला की आधिकारिक जनगणना वर्ष 2011 के आंकड़ों के अनुसार जिले की कुल जनसंख्या 687861 दर्ज की गई है। इन आंकड़ों के अंतर्गत जिले में पुरुषों की कुल जनसंख्या 361784 आंकी गई है। इसके विपरीत महिलाओं की कुल जनसंख्या 326077 थी।

यदि हम वर्ष 2001 के जनगणना आंकड़ों की बात करें तो उस दौरान जिले(Sheopur Madhya Pradesh) की कुल जनसंख्या 559495 थी। जिसमें से महिलाओं की जनसंख्या 264198 तथा पुरुषों की जनसंख्‍या 295297 थी। इस प्रकार जनगणना 2011 के आंकड़ों को आधार बनाने पर हम पाते हैं, कि श्योपुर जिले की जनसंख्या में वर्ष 2001 से तुलना में 22.94% की वृद्धि दर्ज की गई है।

श्‍योपुर जिले का भौगोलिक दृष्टि से कुल क्षेत्रफल 6606 वर्ग किलोमीटर है। इस जिले के अंतर्गत पुरुषों की तुलना में महिलाओं की स्थिति (महिला:पुरूष अनुपात) 901 महिलाएं (प्रति हजार पुरुष पर) है। यदि हम 0 से 6 साल के बच्चों के बीच महिला पुरुष अनुपात की बात करते हैं, तो यह स्थिति 897 महिलाएं (प्रति हजार पुरुषों पर) दर्ज की गई है।

जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार श्योपुर जिले(Sheopur Madhya Pradesh) की साक्षरता दर 57.4 3% पाई गई है। इस प्रकार जिले में कुल साक्षर व्‍यक्तियों की संख्‍या 328025 है। यदि हम पुरुषों की साक्षरता की बात करें तो यह दर 69.33% आंकी गई है, जिसके अनुसार जिले में कुल साक्षर जनसंख्‍या में से 208201 पुरूष ही साक्षर हैं।

इसके विपरीत जनगणना के आंकड़ों के अनुसार महिलाओं की साक्षरता दर 44.23% दर्ज की कई है। इस हिसाब से श्‍योपुर जिले की कुल साक्षर जनसंख्‍या में से 119824 महिलाएं साक्षर हैं।  जिले के अंतर्गत यदि हम शहरी और ग्रामीण क्षेत्र की आबादी की तुलना करें तो हम पाते हैं, कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र की आबादी 84.39% है।

इस आधार पर यह कहा जा सकता है, कि जिले की कुल जनसंख्या में से लगभग 580509 लोग ग्रामीण क्षेत्र में निवास करते हैं। इसी प्रकार जनगणना के अनुसार शहरी क्षेत्र में रहने वाली जनसंख्या का प्रतिशत 15.61% है। इस प्रकार कुल जनसंख्‍या का प्रतिशत के आधार पर शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की संख्‍या लगभग 107352 होती है।

यह जिला मुरैना लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इस जिले में श्योपुर(Sheopur Madhya Pradesh) तथा विजयपुर विधानसभा क्षेत्र आते हैं।

Sheopur जिले की नदियां

श्योपुर जिला की जानकारी के तहत जिले के अंतर्गत बहने वाली प्रमुख नदियों को देखने पर हम पाते हैं, कि जिले में मुख्‍य रूप से कुनो, सीप, अहिल्या, पार्वती, कलवाल तथा चंबल आदि प्रमुख नदियां बहती हैं। इन नदियों के होने पर भी श्‍योपुर जिले में खेती हेतु सिंचाई का कार्य अधिकांशत: नहरों के माध्‍यम से ही किया जाता है।

सीप नदी | Seep Nadi

जिला मुख्यालय के अंतर्गत बहने वाली सीप प्रमुख नदी है। इसी नदी के किनारे श्‍योपुर शहर बसा हुआ है। सीप नदी का उद्गम जिले के अंतर्गत आने वाले अवदा डैम से हुआ है। यह नदी जिले के अंतर्गत आने वाले रामेश्वरम नामक त्रिवेणी संगम पर चंबल नदी में मिल जाती है। इस प्रकार यह जिले से ही शुरु होकर जिले में ही समाप्‍त हो जाती है। भगवान शिव के अनेक मंदिर इस नदी के किनारे बने हुए हैं जैसे :- नागदा गांव में नागेश्वर भगवान का मंदिर।

Seep Nadi Sheopur
Seep Nadi Sheopur

श्‍योपुर जिले पर पार्वती एक्‍वाडेक्‍ट | Sheopur Jile Per Parvati Equadect

मध्य प्रदेश तथा राजस्थान की सीमा पर बड़ौदा तहसील के बुलंदा ग्राम में पार्वती नदी पर पार्वती एक्वाडेक्ट का निर्माण किया गया है। पार्वती एक्वाडेक्ट का निर्माण वर्ष 1955 से शुरू होकर वर्ष 1960 में समाप्त हुआ। पावर्ती नदी पर बने एक्‍वाडेक्‍ट का लोकार्पण तत्कालीन राज्यपाल हरिविनायक पाटस्कर द्वारा किया गया था।

पावर्ती एक्‍वाडेक्‍ट की विशेषताएं | Parvati Equadect Ki Visheshtayen

पार्वती नदी पर बने एक्‍वाडेक्‍ट पर पुल का निर्माण किया गया है। उस पुल के ऊपर से चंबल नदी से निकली नहर गुजरती है। इसी नहर के ऊपर से राजस्थान तथा मध्य प्रदेश राज्‍य को जोड़ने वाली सड़क गुजरती है। इस हिसाब से नदी के ऊपर से पुल, पुल के ऊपर से नहर तथा उसके ऊपर से राज्‍यस्‍तरीय सड़क गुजरती है।

इसकी वज़ह सक यह पर्यटन स्थल के रूप में पहचाना जाने लगा है। यह एक्‍वाडेक्‍ट एशिया में पुरानी इंजीनियरिंग का एक उत्‍कृष्‍ट नमूनों में से एक है।

श्‍योपुर जिले के अभ्‍यारण्‍य | Sheopur Jile Abhyaranya

श्योपुर जिला की जानकारी के तहत आगे हम जिले के तहत आने वाले अभ्‍यारण्‍यों के बारे में समझते हैं। श्‍योपुर जिले के तहत सबसे प्रसिद्ध अभ्‍यारण्‍य मुख्‍य रूप से कूनो-पालपुर वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य ही है। इसके अलावा श्योपुर जिला(Sheopur Madhya Pradesh) के कुछ वनाच्‍छादित इलाकों को मिलाकर एक नवीन अभ्‍यारण्‍य की तैयारी की जा रही है। इस नवीन अभ्‍यारण्‍य का नाम माधवराव सिंधिया अभ्‍यारण्‍य रखा गया है।

कूनो-पालपुर वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य | Kuno-Palpur Vanya Jeev Abhayaranya

कूनो-पालपुर वन्यजीव अभ्यारण की स्थापना वर्ष1981 में की गई थी इस अभ्यारण का कुल क्षेत्रफल 748 वर्ग किलोमीटर रखा गया है। पालपुर-कूनो वन्य जीव अभ्यारण प्रदेश का 12वां नेशनल पार्क घोषित किया गया है। इसी अभ्यारण के अंतर्गत एशियाई सिंह के पुनर्वास का कार्य किया जा रहा है। एशियाई शेरों के आ जाने के कारण अभ्यारण को अंतरराष्ट्रीय पहचान प्राप्त हो सकेगी।

इसके अलावा एशियाई शेर केवल गुजरात के गिर को छोड़कर केवल पालपुर कूनो वन्य जीव अभ्यारण में ही देखने को मिलेंगे।

नवीन माधवराव सिंधिया वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य

ग्वालियर-चंबल संभाग के वन्य प्राणियों की सुरक्षा हेतु प्रदेश सरकार द्वारा नवीन अभ्‍यायरण्‍य  माधवराव सिंधिया अभयारण्य की अधिसूचना जारी की गई है। यह अभ्‍यारण्‍य श्योपुर जिले की श्योपुर, कराहल और वीरपुर तहसीलों के वनक्षेत्रों को शामिल करते हुए बनाया जाएगा।

इस नवीन अभयारण्य में 77574.508 हेक्टेयर का आरक्षित वन क्षेत्र को शामिल किया जाएगा। इस नवीन अभ्‍यारण्‍य के निमार्ण के बाद अंचल में अभयारण्य की कुल संख्या पांच हो जाएगी। इस नवीन अभयारण्य की सीमा के अंदर केवल एक ही राजस्व गांव शामिल किया गया है।

श्‍योपुर जिले के प्रमुख मेले | Sheopur Jile Ke Pramuka Mela

श्योपुर जिला राजस्‍थान के काफी निकट मौजूद है। इस वजह से वहां के निवासियों में राजस्‍थानी रीति रिवाज भी देखने को मिलते हैं। श्योपुर जिला(Sheopur Madhya Pradesh) वासी भी अन्‍य हिन्‍दुओं की भांति सभी तीज त्‍योहार मनाते हैं, परन्‍तु उनके द्वारा मुख्‍य रूप से गणगौर पर्व मनाया जाता है।

गणगौर मेला | Gadgaur Mela

हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह में आयोजित होने वाला श्‍योपुर जिले का गणगौर मेला काफी प्रसिद्ध है। यह मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार है। गणगौर पर्व मुख्य रूप से राजस्थान का त्यौहार है, परंतु इसी संस्कृति में रचे बसे होने के कारण श्योपुर जिला वासी भी इस त्यौहार को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

गणगौर पर्व को मनाने के दौरान मेले का आयोजन किया जाता है। जिले(Sheopur Madhya Pradesh) में गणगौर पर्व के बाद तीन दिवस के लिए गणगौर मेले का आयोजन किया जाता है। गणगौर पर्व अखंड सुहाग की कामना के लिए मनाया जाता है। इस त्यौहार में मुख्य रूप से भगवान शिव तथा माता पार्वती की श्रद्धा से विशेषकर महिलाओं द्वारा पूजा अर्चना की जाती है।

महिलाएं इस त्यौहार में बड़ी भक्ति भाव से सभी रस्मों को निभाती हैं। इस त्यौहार की सभी रस्में होली के 1 दिन बाद शुरू की जाती हैं। इस त्यौहार का नाम गणगौर से तात्पर्य गड़ और गौरी से है, अर्थात भगवान शिव तथा माता महागौरी। गणगौर पर्व के दौरान दाल बाटी लोगों का सबसे लोकप्रिय व्यंजन होता है।

गणगौर पर्व के दौरान महिलाएं विशेषकर लहंगा, चुन्नी अथवा साड़ी धारण करती हैं। इतिहासकारों के अनुसार श्योपुर जिले(Sheopur Madhya Pradesh) में गणगौर मेले की शुरुआत 400 वर्ष पूर्व गोंड राजाओं द्वारा शुरू की गई थी। गणगौर मेले के दौरान सवारियों को निकालने की परंपरा 400 साल पुरानी है।

पूर्व में इस मेले का आयोजन श्योपुर के किले में किया जाता था। इसके अलावा गणगौर की सवारियों को गुरु महल के नीचे स्थित बाजार में रखवाया जाता था, जहां पर राजा स्वयं आकर बैठा करते थे। सिंधिया रियासत के दौरान सवारियां किले के नीचे बैठाई जाने लगीं थी। इसके अलावा सूबात कचहरी पर इस मेले का आयोजन किया जाने लगा। आजादी के बाद इस मेले का आयोजन स्थानीय समितियों द्वारा किया जाने लगा था।

रामबाबा का मेला | Rambaba Ka Mela

श्योपुर जिला(Sheopur Madhya Pradesh) के अंतर्गत प्रतिवर्ष कलमी ग्राम में भाद्रपद माह में रामदेव बाबा का मेला का आयोजन किया जाता है। क्षेत्रीय गुर्जर एवं मारवाड़ी समाज की अगुवाई में ग्राम कलमी में रामदेव बाबा मेला का आयोजन प्रतिवर्ष सितम्‍बर माह में दो दिवस तक आयोजित किया जाता है। यह एक धार्मिक मेला है।

कला एवं लोक संगीत

श्‍योपुर जिले में सभी धर्मों के लोग निवासरत हैं। इसमें से सर्वाधिक हिन्‍दू धर्म के निवासी बहुतायत मात्रा में मौजू़द हैं। इन सबके अलावा भी इस क्षेत्र में विभिन्‍न प्रकार के जनजातीय समूह भी मौजूद हैं। इन सबके भिन्‍न-भिन्‍न प्रकार की कला एवं लोक संगीत हैं। जिले के तहत परंपरागत रूप से मवेशी चराने के व्यवसाय से जुड़े विभिन्न अहीर, बारदी, ग्वाल, रावत, राउत, ग्वाला आदि जातियों के लोगों द्वारा अहिरी नृत्‍य को किया जाता है।

Sheopur कला एवं लोक संगीत
Sheopur कला एवं लोक संगीत

हिंदू त्योहार दिवाली के साथ बरेली या यादव नृत्‍यजुड़ा हुआ है। दिवाली पर्व के अवसर पर लोगों द्वारा धन तथा देवी लक्ष्‍मी के साथ मवेशियों की भी पूजा करते हैं। दिवाली के अगले दिन “पडवा” या “परवा” मवेशियों को फूलों तथा मालाओं से अच्‍छी तरह सजाकर विशेष व्‍यंजन खिलाए जाकर उन्‍हें वनों अथवा खेतों में भेज दिया जाता है। इसी अवसर पर यादव नृत्‍य का आयोजन किया जाता है। इस नृत्‍य में नृतक गीत गाते हुए गोला बनाते हुए नृत्‍य करते हैं।

यादव नृत्‍य में इस दौरान वे धरती पर बैठते अथवा लेट भी जाते हैं तथा पुन: उठकर नृत्‍य करने लगते हैं। यादव नृत्‍य में गीत की दो पंक्तियाँ (मुख्‍य रूप से दोहे) समाप्त होने के पश्‍चात ही संगीत वाद्ययंत्र की शुरूआत की जाती है। यादव नृत्य एक बार शुरू होने के पश्‍चात कार्तिक पूर्णिमा तक जारी रहता है। यादव नृत्‍य के दौरान नृतक सिर पर साफ पगड़ी, धोती को घुटनों तक रखते हुए रंगीन शॉर्ट्स पहनते हैं। उनके द्वारा नृत्‍य करते समय मोर के पंखों का गुच्छा अपने साथ रखा जाता है।

जंगलों में रहने वाले सहरिया आदिवासियों द्वारा सहरिया नृतय को किया जाता है। इस दौरान वे खेतों में काम करने के अलावा जंगलों से औषधीय पौधों को भी इकट्ठा करने का कार्य करते हैं। सहरिया जनजाति के लोगों द्वारा इसके अलावा और भी कुछ महत्‍वपूर्ण नृत्‍य जैसे- लूर डांस, लंहगी डांस, दुल-दुल घोड़ी डांस, राया डांस, अदा-खाडा नृत्‍य किया जाता है। 

विवाह के अवसर पर “हल्दी” की रश्‍म शुरू होने पर सहारस के लूर नृत्‍य का आयोजन किया जाता है।mइस हल्‍दी की रश्‍म में दूल्‍हे के शरीर से हलदी का लेप लगाया जाता है। फिर थोड़ी देर बाद इस उबटन को हटा दिया जाता है। सहारिया जनजाति के लंहगी नृत्‍य को डंडा (बैटन) नृत्य के नाम से भी पहचाना जाता है। यह नृत्‍य सहारिया जनजाति द्वारा किया जाता है।

लंहगी नृत्‍य के समय ये लोग अपने हाथों में डंडा (बैटन) रखते हुए एक दूसरे पर वार करते हैं। इस नृतय को करने हेतु केवल पुरूषों को ही अनुम‍ति होती है। लंहगी नृत्‍य का आयोजन मुख्‍य रूप से भुजरियों, तेजा जी पूजा तथा एकादशी आदि प्रमुख अवसरों पर ही किया जाता है।

दुल-दुल घोरी(घोड़ी) नृत्‍य का आयोजन विवाह के अवसर पर केवल पुरुषों द्वारा ही किया जाता है। घोरी (घोड़ी) नृत्‍य हेतु एक खोखला मामला बांस की छड़ियों से तैयार किया जाता है। खोखले स्थान पर नृतक खड़े होकर नृत्‍य करता है। इस दौरान लोगों द्वारा लोक गीत गाया जाता है। इस नृत्‍य के दौरान महिलाओं के कपड़े पहनकर एक जोकर की भूमिका भी निभाई जाती है। 

श्‍योपुर जिले का पसंदीदा पकवान: दाल बाटी

Sheopur Madhya Pradesh: श्योपुर जिले का सबसे पसंदीदा व्यंजन दाल बाटी है। तुवर या मूंग दाल तथा गेहूं की आटे को गोल कर दाल बाटी व्यंजन को तैयार किया जाता है। दाल बाटी बनाने के लिए दाल को कुछ घंटों के लिए पानी में भिगोकर रखना पड़ता है, जिसके बाद इसे पकाया जाता है।

ओवन की सहायता से पक कर तैयार हुई बाटी को घी मिलाकर दाल, रवा, लड्डू, चावल, पुदीना चटनी, केरी की चटनी, बहुत सारी हरी प्याज का सलाद आदि चीजों के साथ परोसा जाता है। श्योपुर जिले के अंतर्गत दाल बाटी तथा बाफला को पारंपरिक भोजन के रूप में काफी पसंद किया जाता है।

श्‍योपुर जिले में खेती

मध्य प्रदेश के उत्तरी पश्चिमी भाग Sheopur Madhya Pradesh- श्योपुर जिला के अंतर्गत जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है। यह मिट्टी चंबल तथा उसकी सहायक नदियों द्वारा निक्षेपित पदार्थों से निर्मित हुई है। इस मिट्टी में नाइट्रोजन जैव तत्व तथा फास्फोरस की काफी कमी पाई जाती है। यह मिट्टी पीलापन के साथ भूरी दिखाई पड़ती है। श्योपुर जिले में ज्‍यादातर गेहूं, ज्वार, चना, अरहर, सरसों आदि फसलों का उत्‍पादन किया जाता है।

श्‍योपुर जिले में खेती
Sheopur Madhya Pradesh

गेहूं की फसल | Gehu Ki Fasal

श्योपुर जिले की मिट्टी मुख्य रूप से गेहूं की फसल के लिए उपजाऊ है। इसी कारण से जिले के लगभग सभी ब्लॉकों में गेहूं का उत्पादन किया जाता है। श्योपुर जिले के अंतर्गत लगभग 50% भू-भाग खेती के लिए उपलब्ध है। जिले का लगभग 58.74% खेती योग्य भू-भाग सिंचित है।

सरसों की फसल |Sarson Ki Fasal

मुख्य रूप से जिले में तिलहन की फसल सरसों उगाई जाती है, जो तेल उत्पादन के लिए काफी मात्रा में होती है। औद्योगिक दृष्टि से देखा जाए, तो श्योपुर जिले में 156 लघु उद्योग संचालित हैं। यह मुख्य रूप से पाइप, मास्क, खिलौने, दरवाजे स्टैंड, खिड़कियां, लकड़ी के स्मारक, बेड पोस्ट और पालना आदि पर आधारित हैं।

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Sheopur जिले के प्रमुख दर्शनीय स्‍थल

पर्यटन की दृष्टि से श्योपुर जिला काफी संभावनाओं से भरा हुआ है। इसके अंतर्गत प्रमुख रूप से पांच पर्यटन स्थल मौजूद हैं, जहां का भ्रमण कर आनंद लिया जा सकता है।

कूनो वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य | Koono Vanya Jeev Abhyaranya

कूनो वन्य जीव अभ्यारण्य मुख्य रूप से श्योपुर जिले के विजयपुर तथा श्योपुर तहसील में फैला हुआ है। यह शिवपुरी-श्योपुर मार्ग पर स्थित सेसईपुरा बस स्टैंड से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह अभयारण्य एक अलग ही पहाड़ी पर स्थित है, जिसके चारों तरफ ढलान मौजूद है।

दूब कुंड ग्राम |Doob Kund Gram

यह ग्राम कदवई से 25 किलोमीटर पश्चिम में तथा विजयपुर शहर से दक्षिण में 55 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। इस स्थान पर दो खंडहर हो चुके पुराने मंदिरों की खोज की गई है। इन दोनों मंदिरों पर शिलालेखों का उल्लेख मौजूद है। इनमें से एक मंदिर हार्डजौरी तथा दूसरा मंदिर दिगंबर संप्रदाय के कुछ जैन देवी देवताओं का है।

बड़ौदा ग्राम | Baroda Gram

पर्यटन की दृष्टि से श्योपुर तहसील में स्थित बड़ा गांव बड़ौदा लगभग 22.4 किलोमीटर दूरी के साथ सड़क मार्ग से तहसील मुख्यालय से जुड़ा हुआ है। यहॉं से 12वीं शताब्‍दी के दौरान बाच्‍चा राजा द्वारा अजमेर में खुद को स्थापित किया गया था। बड़ौदा ग्राम अकबर के शासन काल में अजमेर के एक महल का मुख्यालय हुआ करता था।

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श्‍योपुर जिले के मुख्‍य पर्यटन स्‍थल

पर्यटन की दृष्टि से श्‍योपुर जिले में काफी संभावनाएं मौजूद हैं। जिले में प्रकृतिक स्‍थलों के अलावा पुरातत्विक महत्‍व के भी ढ़ेरों स्‍थल मौजू़द हैं। इनमें से कुछ प्रमुख स्‍थल निम्‍नानुसार हैं:-

मानपुर का किला | Manpur Ka Kila

Manpur Ka Kila  Sheopur जिले के प्रमुख दर्शनीय स्‍थल
Manpur Ka Kila: Sheopur जिले के प्रमुख दर्शनीय स्‍थल

राजा मान सिंह द्वारा श्योपुर से 45 किलोमीटर दूर मानपुर किले का निर्माण कराया गया था। समय के साथ इस किले पर गौ़ड़ राजाओं द्वारा अपना अधिपत्य स्‍थपित कर लिया गया था। वर्षा 1809 ईस्वी में ग्वालियर के महाराज दौलतराव सिंधिया द्वारा इस किले पर जीत हासिल करते हुए अपने कब्‍जे में ले लिया गया था।

यह किला मुख्य रूप से किले में स्थित मानसरोवर महादेव मंदिर तथा राग रागनियों के भीत्ति चित्रों के लिए विशेषकर प्रसिद्ध है। मानपुर का किला निकटतम रेलवे स्‍टेशन सवाई माधोपुर से65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस किले को देखने के लिए सड़क मार्ग से भी आसानी से पहुँचा जा सकता है।

बडौदा का किला | Baroda ka Kila

श्योपुर जिले में स्थित बड़ौदा के किले का निर्माण खींची राजाओं द्वारा कराया गया था। राजा इंद्र सिंह गौड़ द्वारा इस किले पर विजय प्राप्त कर किले को श्योपुर रियासत का हिस्सा बनाया गया। बड़ौदा किले के अंतर्गत शीश महल, हवा महल तथा शंकर महल आदि प्रमुख दर्शनी पर्यटन स्थल हैं।

यह किला भी राजस्थान के सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन से नजदीक पड़ता है, जो बडौदा किले से दूरी 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सवाई माधोपुर रेलवे स्‍टेशनस से यहॉं तक पहुँचने हेतु आसानी से टैक्सी की सुविधा उपलब्‍ध है।  इस किले तक भी आसानी से सड़क मार्ग से पहॅुचा जा सकता है। श्‍योपुर जिला मुख्‍य मार्गों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है।

बंजारा डेम | Bajara Dem

Sheopur Madhya Pradesh: श्योपुर जिले के अंतर्गत बहने वाली सीप नदी पर बंजारा डैम का निर्माण किया गया है। किंवदंतियों के अनुसार श्योपुर जिले में स्थित बंजारा डैम का निर्माण लक्खी बंजारे ने अपनी बंजारिन  से बेइंतिहॉं मुहबत की निशानी के तौर पर निमार्ण कराया गया था। परंतु, यदि हम ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर गौर करने पर पाते हैं, कि सन 1728 इसमें राजा इंद्र सिंह गौड़ द्वारा बंजारे डैम का निर्माण कराया गया था।

इसके पश्चात ग्वालियर के सिंधिया वंश के जनकोजी राव सिंधिया द्वारा इस डैम की ऊंचाई को बढ़ाया गया। जनकोजी राव सिंधिया द्वारा डैम की ऊंचाई बढ़ाने संबंधी शिलालेख आज भी बंजारा डैम की दीवार पर लगा हुआ है। पर्यटन की दृष्टि से बंजारा डैम काफी प्रसिद्ध है, यहां दूर-दूर से लोग पर्यटन की दृष्टि से घूमने आते हैं।

श्‍योपुर तहसील | Sheopur Tahsil

श्योपुर Sheopur Madhya Pradesh तहसील में चंबल नहर के अलावा ध्रुव कुंडा भी दर्शनीय स्थान मौजूद है। ध्रुव कुंडा पर 2 कुंड निर्मित है। इनमें से एक कुंड गर्म तथा दूसरा कुंड ठंडे पानी से भरा हुआ है। मान्यताओं के अनुसार इस कुंड में नहाने से त्वचा रोग ठीक हो जाते हैं। यहां पास दूसरा दर्शनीय स्थल रामेश्वर है, जोकि चंबल, शिप तथा बनास नदी का संगम स्थान है। इसकी वजह से लोगों द्वारा इसे पवित्र स्थान समझा जाता है।

विजयपुर शहर | Vijaypur Shahar

विजयपुर शहर कुंवारी नदी के किनारे पर स्थित है। इस शहर की खोज राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित करौली राज्य के शासक विजय सिंह द्वारा की गई थी। पूर्व काल में विजयपुर परगना मुख्यालय हुआ करता था। इस स्थान पर मौजूद सैयाद तथा पीजों की कब्रे चमत्कार के लिए काफी प्रसिद्ध हैं।

श्‍योपुर का संग्रहालय | Sheopur Ka Sangrahalaya

मध्य प्रदेश की सहरिया अत्यंत पिछड़ी जनजातियों में से एक है। श्योपुर के किले में श्योपुर जिला प्रशासन द्वारा सहरिया जनजाति से संबंधित संस्कृति के संरक्षण हेतु सहरिया संग्रहालय का निर्माण किया गया है। इस संग्रहालय को जिला प्रशासन द्वारा सहरिया विकास प्राधिकरण एवं पुरातत्व एवं संस्कृति संरक्षण समिति के तत्वाधान में स्थापित किया गया है।

Sheopur Madhya Pradesh- श्योपुर जिला के अंतर्गत स्थापित सहरिया संग्रहालय को सरिया जनजाति की संस्कृति हेतु शोध केंद्र भी घोषित किया गया है।

श्‍योपुर का किला | Sheopur Ka Kila

प्रस्तर शिल्प के बेजोड़ नमूना को दर्शाते हुए श्योपुर का किला सीप तथा कलवाल नदी के संगम तट पर स्थित है। इस किले के अंतर्गत 425 पुरातत्व महत्व की बेशकीमती मूर्तियों का संग्रह किले में निर्मित संग्रहालय में किया गया है। इस किले के अंतर्गत प्रमुख रूप से पर्यटन की दृष्टि से दर्शनीय स्थलों में गुजरी महल, नरसिंह महल, दरबार हॉल, राजा इंद्र सिंह व राजा किशोर दास की छतरियां प्रमुख रूप से मौजू़द हैं।

Sheopur Madhya Pradesh- श्योपुर किले के अंतर्गत कुछ भवनों को मध्यप्रदेश शासन द्वारा संरक्षित घोषित किया गया है। इस किले तक भी पहुंचने हेतु एकमात्र निकटतम रेलवे स्टेशन राजस्थान का सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन है। इस रेलवे स्‍टेशन से श्‍योपुर की दूरी लगभग 65 किलोमीटर है।  इसके अलावा श्‍योपुर किला भी आसानी से सड़क मार्ग द्वारा पहुँचा जा सकता है।

Sheopur Madhya Pradesh की रोचक जानकारी

  • श्योपुर जिला मुख्य रूप से 5 तहसील  श्योपुर, विजयपुर, कराहल, वीरपुर तथा बड़ौदा से मिलकर बना है।
  • इस जिले के अंतर्गत 3 विकासखंड श्योपुर, विजयपुर तथा कराहल आते हैं।
  • श्योपुर जिले का निर्माण वर्ष 1998 में मुरैना जिले को दो भागों में बांट कर श्‍योपुर जिले का निमार्ण किया गया था।
  • श्योपुर जिला की सीमा राजस्थान के कोटा, बारा तथा सवाई माधोपुर से लगती है। यह जिला मुख्य रूप से सीप नदी के किनारे बसा हुआ है।
  • जिले के उत्तर पश्चिमी भाग से चंबल नदी बहती है।
  • श्योपुर जिला में मौजूद पालपुर कूनो वन्य जीव अभयारण्य में एशियाई शेरों का संरक्षण का कार्य किया जा रहा है।
  • चंबल, सीप तथा बनास नदियों के त्रिवेणी संगम पर स्थित रामेश्वरम काफी प्रसिद्ध है। यहां प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की पूर्णिमा पर मेला का आयोजन किया जाता है।
  • श्योपुर से 28 किलोमीटर दूर बहने वाली चंबल नदी पर श्योपुर का सबसे ऊंचा पुल ‘’पाली पुल’’ निर्मित है।
  • बागलदा ग्राम में जगदीश जी महाराज का मंदिर स्थित है, जहां प्रत्येक चौदस की रात्रि हजारों श्रद्धालुओं द्वारा भजन कीर्तन किया जाता है।
  • राजा विजय सिंह द्वारा बड़ौदा में स्थित जल मंदिर का निर्माण कराया गया था। वर्तमान में श्योपुर तथा ग्वालियर जिले के मध्य नैरो गेज ट्रेन का संचालन किया जाता है।
  • श्योपुर में ही राजस्थानी शैली से निर्मित सबलगढ़ का किला मौजूद है। 16वीं से 17वीं शताब्दी के दौरान करौली के महाराजा गोपाल सिंह द्वारा सबलगढ़ किले का निर्माण करवाया गया था।
  • सबला गुर्जर द्वारा सबलगढ़ के किले की नींव रखी गई थी। सबलगढ़ किले के अंदर ही नवल सिंह की हवेली मौजूद है।
  • जिले के अंतर्गत आने वाले जैनी ग्राम में क्षेत्रपाल जी महाराज का मंदिर स्थित है। इस जिले के निमोदा ग्राम में बहुत ही प्राचीन मठ ‘’निमोदा मठ’’ स्थित है।
  • बड़ौदा से श्योपुर मार्ग पर जिले के अंतर्गत खेम जी महाराज का मंदिर अवस्थित है। जिले के अंतर्गत बहने वाली सीप नदी पर बंजारा बांध का निर्माण किया गया है।
  • इस जिले के अंतर्गत प्रतिवर्ष कलमी ग्राम में भाद्रपद महक में रामदेव बाबा का मेला का आयोजन किया जाता है।
  • श्योपुर जिले के तहत ही वीर सावरकर राज्यस्तरीय स्टेडियम मौजूद है।
  • यह जिला प्रदेश में सर्वाधिक कुपोषित जिला के अंतर्गत जाना जाता है।
  • श्योपुर जिला मुख्‍यालय श्‍योपुर में ही कवि मुक्तिबोध की जन्‍मस्‍थली है।
  • श्‍योपुर चंबल नदी से सिंचित जिला है, यह भी सरसों उत्‍पादित जिला है।
  • श्योपुर के तहत एशियाई सिंहों का संरक्षण, पालपुर कूनो वन्य जीव अभ्यारण में किया जा रहा है।
  • इस जिले में प्रमुख पर्यटन तथा धार्मिक स्‍थल के अंतर्गत श्योपुर किला, रानी महल, दरबार हॉल, सहरीया संग्रहालय, राम जनकी मंदिर, दूब कुंड, रामेश्वर संगम, विजयपुर दुर्ग, देवरी हनुमान मंदिर, ध्रुव कुंड, दरगाह निमोडा शरीफ, जिन्न की मस्जिद, खेत्रपाल जैनी का मंदिर, काजी़ की बावड़ी, बीवी जी की बावड़ी आदि आते हैं।

Source:- https://sheopur.nic.in/en/ , https://hi.wikipedia.org/

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