Lokpal in India- First Lokpal of India | लोकपाल इन इंडिया

Lokpal in India (लोकपाल इन इंडिया) वह शासकीय अधिकृत व्यक्ति है, जिसे जनहित के कार्यों में केंद्रीय तथा राज्य-स्तरीय भृष्टाचारियों पर कार्यवाही का अधिकार है। दुनिया भर में लोकपाल की अवधारणा को Ombudsman के नाम से पहचाना जाता है। हमारे देश में इसके नाम का रूपांतरण कर लोकपाल के नाम से पहचाना जाने लगा। ओंबड्समेन की अवधारणा विदेश से ली गई है। सर्वप्रथम इसकी अवधारणा की शुरुआत स्वीडन नामक देश से हुई।

Lokpal ka अस्तित्‍व तथा उसकी स्थिति

स्‍वीडन में सर्वप्रथम इस विचार का प्रतिपादन किया गया, कि देश में एक एंटी करप्शन अथॉरिटी की व्‍यवस्‍था होनी चाहिए। यह अथॉरिटी देश में लोकहित में होने वाले करप्शन में शामिल पब्लिक सर्वेंट को जवाब देह ठहराने में सक्षम हो। स्‍वीडन के वासियों तथा वहां की सरकार के अनुसार प्रत्येक जगह पर न्‍यायपालिका द्वारा करप्शन में शामिल लोगों को दोषी ठहरा कर उन पर कार्रवाई नहीं की जा सकती थी, जिसकी वजह से एक अलग ही एंटी करप्शन अथॉरिटी पर जोर दिया गया।

Lokpal in India- इसके परिणाम स्वरूप वर्ष 1809 में स्वीडन की सरकार द्वारा पूरे विश्व में सर्वप्रथम अपने देश की जनता के हितों की रक्षा के लिए एक स्वच्छंद एजेंसी का निर्माण किया गया। जिस के मुखिया को ओंबड्समेन कहा गया। इसकी सफलता को देखकर पड़ौसी देशों ने भी इसे अपनाना शुरू किया गया। इस एंटी करप्शन अथॉरिटी तथा उसके मुखिया ओंबड्समेन का मुख्य कार्य जनता के हितों से संबंधित कार्यों में होने वाले भ्रष्टाचार की जांच कर इसमें संलिप्त जन-प्रतिनिधियों पर त्वरित कार्रवाई करना प्रमुख कार्य था।

यदि हम अपने देश की बात करें तो हम पाते हैं, कि हमारे यहां आज तक ऐसी कोई एंटी कर्पशन अथॉरिटी नहीं बनाई गई है, जो देश में जनता के हितों से संबंधित कार्यों में होने वाले भ्रष्टाचार की जांच कर उन पर कार्यवाही करते हुए बढ़ रहे भृष्‍टाचार पर काबू पा सके। हाल ही में विश्‍व में भृष्‍टाचार की स्थिति पर जारी ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की करप्शन परसेप्शन इंडेक्स रेटिंग 2018 रिपोर्ट के आंकड़ों में स्वीडन को तीसरा स्थान प्रदान किया गया है।

इस रिपोर्ट में प्रथम स्थान पर डेनमार्क को रखा गया है तथा भारत को इसमें 78वां स्थान प्रदाय किया गया है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा यह रैंकिंग तैयार करने हेतु 180 देशों में विद्यमान भृष्‍टाचार पर विश्लेषण किया गया था। इस रिपोर्ट में यह पाया गया, कि जिन देशों में ओंबड्समैन पिछले 100 या इससे अधिक वर्षों से मौजूद है, वहां करप्शन की स्थिति ना के बराबर है। इसी का परिणाम है, कि डेनमार्क तथा स्वीडन को रैंकिंग में प्रथम तथा तीसरा स्थान प्रदाय किया गया है।

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Lokpal in India का इतिहास

Lokpal in India

भारत में लोकपाल लाने की पहल वर्ष 1963 में की गई, परंतु कामयाबी वर्ष 2019 में जाकर मिली है। आजादी मिलने के पश्चात वर्ष 1963 में लक्ष्मी माल सिंघवी के द्वारा पहली बार भारत में इस अधिकारी लाने के लिए आवाज उठाई गई थी। हमारे यहां लोकपाल शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है। इसमें ‘’लोक’’ का अर्थ जनता से है तथा ‘’पाल’’ का अर्थ रक्षा करने वाला या ध्यान रखने वाला से है।

दोनों शब्‍दों की संधि करने पर यह लोकपाल कहलाया तथा इसका तात्पर्य जनता का रखवाला या जनता का ध्यान रखने वाला से है। देश में लोकपाल लाने की पहल वर्ष 1963 में होने के बाद धीरे-धीरे इसकी मांग की चर्चा सरकारों में भी उठने लगी। वर्ष 1966 में मोरारजी देसाई के नेतृत्व में बनाई गए ‘’एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स कमिशन’’ द्वारा ‘’प्रॉब्लम्स ऑफ रिड्रेसल ऑफ सिटीजन ग्रीवांसेज’’ नामक अंतरिम रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई। Lokpal in India ki full Jankari.

इस रिपोर्ट में आयोग द्वारा स्पष्ट रूप से कहा गया, कि देश में आम जनता को भ्रष्टाचार से निजात दिलाने हेतु देश में भी एक ओंबड्समेन की नियुक्ति करनी ही चाहिए। कमेटी ने जोर देकर कहा, गया कि भारत में लोकपाल की बहुत अधिक आवश्यकता है। आयोग द्वारा देश में दो अलग-अलग अथॉरिटी लोकपाल तथा लोकायुक्त के निर्माण की अनुशंसा की गई थी।

आयोग ने सुझाव दिया था, कि केंद्रीय स्तर पर लोकपाल{Lokpal in India} की नियुक्ति की जाए तथा राज्य स्तर पर लोकायुक्त की नियुक्ति की जाए। आयोग के अनुसार इसका मुख्य उद्देश्य जनहित में किये गए कार्यों में होने वाले भृष्‍टाचार में केंद्रीय तथा राज्य स्तर पर आसानी से कार्यवाही की जा सकेगी।

वर्ष 1968 में पहली बार लोकसभा में लोकपाल बिल पेश किया गया, परंतु यह बिल लोकसभा में ही पास नहीं हो सका था। इसी प्रकार वर्ष 2011 तक 8 बार इस बिल को लोकसभा से पास कराने का प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली।

वर्ष 2002 में एम.एन. वेंकट चिल्लाई की अध्यक्षता में बनाया गया, ‘’द कमीशन टू रिव्यू द वर्किंग ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन’’ नामक आयोग द्वारा जारी अपनी रिपोर्ट में देश में लोकपाल तथा लोकायुक्त की नियुक्ति की अनुशंसा की गई। आयोग के द्वारा देश में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लोकपाल तथा लोकायुक्त की आवश्यकता पर बल दिया गया।

इस आयोग द्वारा अपनी अनुशंसा में देश के प्रधानमंत्री को इसके कार्यक्षेत्र से बाहर रखने की अनुशंसा की गई। वर्ष 2005 में वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में बनाए गए आयोग, ‘’द सेकंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स कमिशन’’ द्वारा अपनी अनुशंसा में देश में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लोकपाल एजेंसी की स्थापना बिना देर लगाए करने की अनुशंसा की गई।

आखिरकार वर्ष 2011 में सरकार द्वारा देश में फैले भ्रष्टाचार पर काबू पाने की दिशा में लोकपाल की क्षमता पर सुझाव हेतु प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में मंत्रियों के एक समूह का गठन किया गया। इस समूह की अनुसंशा के परिणाम स्वरूप ही| लोकपाल बिल के प्रपोजल को आगे बढ़ाने की कार्यवाही होना शुरू हुई। लोकसभा में लोकपाल बिल को आगे बढ़ाने में समाजसेवी अन्ना हजारे द्वारा मुख्य भूमिका निभाई गई।

उनके द्वारा इसके समर्थन में भूख हड़ताल तथा आंदोलन चलाया गया। उन्‍होंने सरकार पर कई और माध्यम से दबाव डालने का प्रयास किया। अन्ना हजारे द्वारा वर्ष 1963 से लटके लोकपाल बिल को पास कराने की बात पर सरकार पर जनता के सहयोग से विशेष दबाव डाला गया।

उनके द्वारा ही आम आदमी तक लोकपाल की आवश्यकता को पहुंचाया गया। इसका परिणाम यह हुआ, कि वर्ष 2013 में ‘’लोकपाल तथा लोकायुक्त बिल 2013’’ दोनों सदनों से पास हो गया| तथा 01 जनवरी 2014 को देश के तात्‍कालीन राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हस्‍ताक्षर के पश्‍चात यह अधिनियम बन गया।

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Bharat में जनलोकपाल की व्‍यवस्‍था

Lokpal in India ke pratham lokpal

हमरे देश में वर्ष 1963 से Lokpal in India की मांग शुरू हुई थी। यह मांग अब जाकर वर्ष 2019 में पूरी हुई है। वर्ष 2013 में तात्‍कालीन सरकार द्वारा लोकपाल एवं लोकायुक्त विधेयक 2013 पारित किया गया। इसके बाद भी देश में लोकपाल के पद को सृजन करने में सरकार को लगभग 6 वर्ष का समय लगा।

The First Lokpal of India is Retd. Justice Pinaki Chandra Ghose(पूर्व जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष)

Lokpal of India

केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में देश के लिए लोकपाल चयन हेतु बनाई गई कमेटी के निर्णय के आधार पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष पर निणर्य लेते हुए उन्‍हें देश का पहला लोकपाल चुना गया। लोकपाल सिलेक्शन कमेटी की अध्यक्षता देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई।

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Lokpal ki Vyavastha

हमारे देश में लोकपाल(Lokpal in India) तथा उसके सदस्‍यों के चयन हेतु गठित कमेटी में कुल 5 सदस्‍यों को रखा गया है। इस कमेटी में प्रथम सदस्य के रूप में देश के प्रधानमंत्री को शामिल किया गया है, जो इसका अध्‍यक्ष भी होगा। वर्तमान में इस कमेटी के सदस्य के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए। दूसरे सदस्य के तौर पर लोकसभा के स्पीकर को स्‍थान दिया गया है।

वर्तमान में इस कमेटी के द्वितीय सदस्य के रूप में लोकसभा के वर्तमान अध्यक्ष सुमित्रा महाजन शामिल हुईं। कमेटी के तीसरे सदस्य के रूप में नेता प्रतिपक्ष को स्‍थान दिया गया है। नेता प्रतिपक्ष विपक्ष में मौजूद ऐसी पार्टी के अध्‍यक्ष को बनाया जाता है, जिसकी लोकसभा में सदस्‍य संख्‍या 10% से अधिक होते हैं। परन्‍तु, वर्तमान में किसी भी विपक्षी पार्टी के पास यह आंकडे मौजूद नहीं होने से नेता प्रतिपक्ष का दर्जा किसी को नहीं मिलने की वजह से इस कमेटी में तीसरे सदस्‍य का स्‍थान खाली रहा।

लोकपाल- Lokpal of India चुनाव कमेटी में चौथे सदस्य के रूप में देश के मुख्य न्यायाधीश या उनकी अनुशंसा पर नामित सुप्रीम कोर्ट के एक जज को शामिल किया गया है। वर्तमान में देश का मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई द्वारा चौथे सदस्‍य की भूमिका निभाई गई। कमेटी के 5वें तथा अंतिम सदस्य के रूप में देश के राष्ट्रपति द्वारा नामित  प्रसिद्ध न्यायविद को स्‍थान दिया गया है।

वर्तमान कमेटी में इस पांचवे सदस्‍य के रूप में देश के 14वें अटॉर्नी जनरल रहे फार्मर अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया मुकुल रोहतगी का चयन किया गया। वर्तमान में देश के 15वें अटार्नी जनरल के रूप में के. के. वेणुगोपाल कार्यरत हैं।

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Jan-Lokpal तथा लोकायुक्त बिल 2013

लोकपाल से संबंधित जानकार
  • बिल में प्रावधान किया गया है, कि देश में मौजूद भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई करने के उद्देश्य से केंद्रीय स्तर पर लोकपाल(Lokpal of India) तथा राज्य स्तर पर लोकायुक्त की नियुक्ति हेतु एक स्वच्छंद इकाई की स्थापना की जाएगी।
  • बिल मे एंटी करप्शन अथॉरिटी या भ्रष्टाचार रोधी संस्थान के मुखिया को केन्‍दीय स्‍तर पर लोकपाल तथा राज्‍य स्‍तर पर लोकायुक्‍त कहा गया है।
  • इस संस्था में केन्‍द्रीय स्‍तर पर लोकपाल के अलावा 8 अन्‍य सदस्यों को शामिल किये जाने का प्रावधान किया गया है।
  • बिल में देश में जनहित में जनता के सेवकों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने हेतु लोकपाल को सक्षम अधिकारी नियुक्त किया गया है।
  • इसमें किन्ही परिस्थितियों में लोकपाल के द्वारा भ्रष्टाचार के मामलों में प्रधानमंत्री पर भी कार्रवाई की जा सकने की बात कही गई है।
  • बिल में देश की सेनाओं को लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है।
  • लोकपाल के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत लोक सेवकों की सभी श्रेणियों को शामिल किया गया है।
  • विदेशी स्रोतों से 10 लाख रुपये से ज्यादा का दान लेनी वाली, ‘’विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए)’’ के संदर्भ में आने वाली कोई भी अथवा सभी संस्थाएं इसके जांच के दायरे में होंगी।
  • अधिनियम में ईमानदार तथा सीधे–साधे लोक सेवकों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।
  • यह अधिनियम विभिन्न मामलों में सीबीआई समेत किसी भी जांच एजेंसी को निर्देशित करने का–चाहे वह लोकपाल ने खुद जांच एजेंसी को ही क्यों न दिया हो एवं लोकपाल को अधीक्षण का अधिकार प्रदान करता है।
  • अभियोजन का मामला लंबित होने पर भी अधिनियम में भ्रष्ट तरीकों से अर्जित की गई संपत्ति को जब्त करने का प्रावधान किया गया है।
  • राज्य विधानमंडल द्वारा अधिनियम के लागू होने के 365 दिनों के भीतर कानून के अधिनियमन के जरिए लोकायुक्त संस्था की स्थापना करने का प्रावधान भी इस अधिनियम में किया गया है ।
  • प्रारंभिक जांच और ट्रायल के लिए स्पष्ट समय सीमा का निर्धारण अधिनियम में किया गया है। इसमें ट्रायल के लिए विशेष अदालतों की स्थापना का भी उल्लेख किया गया है।
  • अधिनियम के अनुसार अभियोजन के निदेशक के नेतृत्व में अभियोजन निदेशालय को निदेशक नियंत्रित करेंगे।
  • अधिनियम में दिये गए दिशा निर्देशों के अनुसार केंद्रीय सतर्कता आयोग अभियोजन निदेशक, सीबीआई की नियुक्ति की सिफारिश करेंगें।
  • अधिनियम में लोकपाल द्वारा संदर्भित मामलों की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारियों के तबादले के लिए लोकपाल की मंजूरी का प्रावधान किया गया है।

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Pradhanmantri के संबंध में जन-लोकपाल की भूमिका

  • लोकपाल(Lokpal in India) अधिनियम 2013 के अनुसार यदि देश के प्रधानमंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप लगता है एवं उनके खिलाफ याचिका दायर की जाती है,
  • तो सर्वप्रथम लोकपाल संस्थान के सदस्यों द्वारा प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच करने हेतु सहमति बनानी होगी। तभी प्रधानमंत्री के खिलाफ लोकपाल द्वारा जांच की जा सकेगी।
  • इस एक्ट में यह प्रावधान किया गया है, कि यदि प्रधानमंत्री के ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगता है तथा वह भ्रष्टाचार फॉरेन मिनिस्ट्री से संबंधित मामलों जैसे एटॉमिक एनर्जी, अंतरिक्ष से संबंधित क्षेत्र, आंतरिक तथा देश की बाहरी सुरक्षा से संबंधित विषय अथवा पब्लिक ऑर्डर आदि के अंतर्गत आने पर लोकपाल के द्वारा प्रधानमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में जांच नहीं की जा सकेगी।
  • इन परिस्थितियों में प्रधानमंत्री को जांच से छूट प्रदान की गई है।

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Lokpal of India चेयर पर्सन या मुखिया

देश में लोकहित में बनाई गई भृष्‍टाचार जांच एजेंसी के मुखिया को केन्‍द्रीय स्‍तर पर लोकपाल(Lokpal in India) के नाम से जाना जाता है तथा राज्‍य स्‍तर पर इसे लोकायुक्‍त के नाम से पहचाना जाएगा। इस संस्‍था के प्रमुख के तौर पर किसी भी ऐसे व्यक्ति का चयन किया जा सकता है, जो देश का पूर्व मुख्य न्यायाधीश हो अथवा ऐसा सम्मानित विधि पुरुष जिसे अपने क्षेत्र में कम से कम 25 वर्ष का अनुभव हो।

विधि पुरुष के लिए अनुभव हेतु निर्धारित क्षेत्र के तहत संबंधित व्‍यक्ति को एंटी करप्शन पॉलिसी, एडमिनिस्ट्रेशन, विजिलेंस तथा फाइनेंस (फाइनेंस के अंतर्गत इंश्योरेंस, बैंकिंग, लॉ एंड मैनेजमेंट आदि) आदि क्षेत्रों में कम से कम 25 वर्ष का अनुभव होना चाहिए।

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लोकपाल संस्था का गठन

देश में केंद्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार के मामलों की देख-रेख करने हेतु बनाई गई संस्था को लोकपाल के नाम से जाना जाता है। इस संस्थान का प्रमुख लोकपाल कहलाता है। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश या फिर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज या फिर कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति ही लोकपाल के अध्यक्ष पद हेतु पात्र होगा।

लोकपाल(Lokpal in India) की मदद हेतु लोकपाल के अलावा 8 अन्‍य सदस्यों को भी इस संस्‍था में स्‍थान प्रदान किया गया है। इन 8 सदस्यों में से 50% सदस्य न्याय क्षेत्र से संबंधित व्यक्तियों को चुना जाएगा। शेष बचे हुए 50% सदस्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग अथवा माइनॉरिटी एवं वूमेन केटेगरी में से चुने जाऐंगे।  

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Jan-Lokpal in India हेतु जिन्‍हें नहीं चुना जा सकता

  • राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा का सदस्य या संसद सदस्य लोक पाल के लिए पात्र नहीं होगा।
  • किसी किस्म के नैतिक भ्रष्टाचार में दोषी पाया गया व्यक्ति को इस पद हेतु नहीं चुना जा सकेगा।
  • अध्यक्ष या सदस्य का पद ग्रहण करने से पूर्व ऐसा व्यक्ति जिसकी उम्र 45 साल न हुई हो लोकपाल पद हेतु पात्र नहीं समक्षा जाएगा।
  • किसी पंचायत या निगम का सदस्य लोकपाल नहीं बन सकता है।
  • राज्य या केंद्र सरकार की नौकरी से बर्ख़ास्त या हटाया गया व्‍यक्ति भी इस पद हेतु का‍बिल नहीं समझा जाएगा।

First Lokpal of India से संबंधित अन्‍य तथ्‍य

  • Lokpal in India का कार्यकाल 5 वर्ष के लिए रखा गया है। किसी व्यक्ति को लोकपाल के पद हेतु चुनने के बाद 70 वर्ष तक ही पद पर बने रहने का अधिकार प्रदान किया गया है।
  • चुने गए लोकपाल के वेतन का भुगतान, ‘’कंसोलिडेटेड फंड ऑफ़ इंडिया’’ से भुगतान किया जाएगा। यदि संबंधित व्यक्ति पूर्व से ही पेंशन ग्रहण कर रहा है, तो उसके वेतन से पेंशन की रकम काटने के पश्‍चात शेष वेतन का भुगतान किया जाएगा।

लोकपाल के कार्य

  • अधिनियम में लोकपाल द्वारा कुशासन की वजह से न्याय और परेशानी संबंधी नागरिकों की ‘शिकायतों’ की जांच हेतु लोकपाल को अधिकृत किया गया है।   
  • लोकपाल द्वारा सरकारी कर्मचारी के खिलाफ पद का दुरुपयोग, भ्रष्टाचार या ईमानदारी में कमी के आरोपों की जांच की जा सकती है।

Lokpal in India का अधिकार क्षेत्र

  • लोकपाल अधिनियम 2013 में लोकपाल को कुशासन, अनुचित लाभ पहुंचाने या भ्रष्टाचार से संबंधित मामले जो किसी मंत्री या केंद्र या राज्य सरकार के सचिव के अनुमोदन से की गई प्रशासनिक कार्रवाई के खिलाफ में पीड़ित व्यक्ति द्वारा लिखित शिकायत किए जाने पर या स्वतः संज्ञान लेते हुए, जांच करने का अधिकार प्रदान किया गया है।
  • इसी अधिनियम में लोकपाल द्वारा पीड़ित व्यक्ति को अदालत या वैधानिक न्यायाधिकरण से मिले किसी भी फैसले के संबंध में किसी प्रकार की जांच नहीं कर सकने का प्रावधान किया गया है।
  • अधिनियम में कुछ मामलों में लोकपाल के पास दीवानी अदालत के अधिकार भी प्रदान किये गए हैं।
  • अधिनियम में लोकपाल को केंद्र या राज्य सरकार के अधिकारियों की सेवा का इस्तेमाल करने का अधिकार प्रदान किया गया है।
  • Lokpal in India को अधिनियम में भृष्‍टाचार से अर्जित संपति को अस्थाई तौर पर नत्थी (अटैच) करने का अधिकार प्रदान किया गया है।
  • इसके तहत विशेष परिस्थितियों में भ्रष्ट तरीक़े से अर्जित की गई संपति, आय, प्राप्तियों या फ़ायदों को ज़ब्त करने की कार्यवाही हेतु लोकपाल को आजादी प्रदान की गई है।
  • Lokpal in India को विषेष शक्तियां प्रदान करते हुए भ्रष्टाचार के आरोपी सरकारी कर्मचारी के स्थानांतरण या निलंबन की सिफ़ारिश करने का अधिकार प्रदान किया गया है।

Lokpal के प्रतिनिधि नियुक्ति के अधिकार

  • अधिनियम में Lokpal in India के निर्देशों के अनुसार केंद्र सरकार को भ्रष्टाचार के मामलों की सुनवाई हेतु विशेष अदालतों के गठन करने का स्‍पष्‍ट उल्‍लेख किया गया है।
  • इसके तहत विशेष अदालतों में मामला दायर होने के एक साल भीतर उस पर सुनवाई पूरी करना सुनिश्चित करने का प्रावधान किया गया है।
  • अधिनियम के अनुसार यदि दी गई समयावधि में किसी मामले पर सुनवाई पूरी नहीं हो सकेगी तो विशेष अदालत को इसका स्‍पष्‍ट कारण दर्ज करना होगा तथा अगले तीन माह में सुनवाई पूरी करने का प्रावधान किया गया है।
  • यदि संबंधि मामले में कोई प्रगति नहीं होती है, तो यह अवधि तीन-तीन महीने के हिसाब से बढ़ाई जा सकती है।

Lokpal के पद से पदमुक्‍त होने पर अध्‍यक्ष तथा सदस्‍यों पर लागू होने वाले नियम

लोकपाल(Lokpal in India) के अध्यक्ष और सदस्यों द्वारा अपना कार्यकाल पूर्ण करने के बाद अधिनियम में कुछ काम करने पर प्रतिबंध लगाया गया है:-

  • अधिनियम में प्रावधान किया गया है, कि यदि किसी व्‍यक्ति की इस अधिकारी या उसके सदस्यों के रूप में नियुक्‍त होने के बाद अपना कार्यकाल पूर्ण करने पर पुनर्नियुक्ति नहीं की जा सकेगी।
  • इसी के साथ कार्यकाल पूर्ण करने वाले अध्‍यक्ष या सदस्‍यों को किसी भी प्रकार की कूटनीतिक ज़िम्मेदारी नहीं दी जा सकेगी तथा उनकी नियुक्ति केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक के तौर पर नहीं की जा सकेगी।  
  • अधिनियम में अपना कार्यकाल पूर्ण करने के बाद इन्‍हें पांच साल बाद तक राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, संसद के किसी सदन, किसी राज्य विधानसभा या निगम या पंचायत के रूप में चुनाव नहीं लड़ सकने का प्रावधान किया गया है।

Lokpal को जांच कमेटी गठित करने का अधिकार

  • अधिनियम में भ्रष्टाचार के आरोपी सरकारी कर्मचारी के ख़िलाफ़ शुरुआती जांच के लिए यदि कोई जांच कमेटी मौजूद नहीं होने पर इस अधिकारी को एक जांच शाखा का गठन करने का अधिकार प्रदान किया गया है।
  • इस द्वारा गठित की गई जांच कमेटी का नेतृत्व एक निदेशक द्वारा किया जाएगा
  • अधिनियम में स्‍पष्‍ट उल्‍लेख किया गया है, कि Lokpal in India द्वारा गठित जांच कमेटी के लिए केंद्र सरकार द्वारा अपने मंत्रालय या विभाग से प्राथमिक जांच के लिए जरूरी अधिकारी तथा कर्मचारी उपलब्ध करवाने का प्रावधान किया गया है।

अभियोजन शाखा के गठन का अधिकार

  • अधिनियम में लोकपाल को किसी सरकारी कर्मचारी पर लोकपाल की शिकायत की पैरवी के लिए एक अभियोजन शाखा का गठन करने का अधिकार प्रदान किया गया है, जिसका नेतृत्व एक निदेशक द्वारा किया जाएगा।
  • अधिनियम में स्‍पष्‍ट उल्‍लेख किया गया है, कि लोकपाल द्वारा गठित अभियोजन शाखा के लिए केंद्र सरकार द्वारा अपने मंत्रालय या विभाग से प्राथमिक जांच के लिए जरूरी अधिकारी तथा कर्मचारी उपलब्ध करवाने का प्रावधान किया गया है।

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